कविता

कविता – मन कैसे हो धवल

हज़ार  वादे झूँठ है एक सच के सामने।

जैसे इंसान खड़ा हो आईने के सामने।।
बेमतलब के झगड़े होते आमने सामने।
रोज विश्वासघाती दिखे  आमने सामने।।
शकुनि सी चाल खेलते है लोग सामने।
हाथ मलते रहते दुर्योधन से लोग सामने।।
ध्रतराष्ट्र सा मन विकारों से ढंका सामने।
 मन कैसे हो धवल दुशासनों के सामने।।
रोज द्रोपदी सी जनता छल रहे है सामने।
मोन है सारे ही देख कर कुकृत्य सामने।।
सजातीय विजातीय में डटे आमने सामने।
धर्मयुद्ध नित्य ही कर रहे पुरोहित सामने।।
कवि राजेश पुरोहित

डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

पिता का नाम - शिवनारायण शर्मा माता का नाम - चंद्रकला शर्मा जीवन संगिनी - अनिता शर्मा जन्म तिथि - 5 सितम्बर 1970 शिक्षा - एम ए हिंदी सम्प्रति अध्यापक रा उ मा वि सुलिया प्रकाशित कृतियां 1. आशीर्वाद 2. अभिलाषा 3. काव्यधारा सम्पादित काव्य संकलन राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सतत लेखन प्रकाशन सम्मान - 4 दर्ज़न से अधिक साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित अन्य रुचि - शाकाहार जीवदया नशामुक्ति हेतु प्रचार प्रसार पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया संपर्क:- 98 पुरोहित कुटी श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान पिन 326502 मोबाइल 7073318074 Email [email protected]