ग़ज़ल-बात तुम्हारी एकतरफ
कृष्णमुरारी एकतरफ.
सेना सारी एकतरफ.
एकतरफ मेरी दुनिया,
दुनियादारी एकतरफ.
इश्क अगर हो चारागर,
हर बीमारी एकतरफ.
जो देकर दस्तार मिले,
वो सरदारी एक तरफ.
बस मिलने की शिद्दत हो,
सब लाचारी एकतरफ.
इतनी तेज़ ज़ुबाँ उसकी,
कैंची-आरी एकतरफ.
ये दिल तेरा है, सबकी
दावेदारी एक तरफ.
यों तो कितने लोग मिले,
बात तुम्हारी एकतरफ.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674