जिन लोगों के सच्चे किरदार नही होते
जिन लोगों के सच्चे किरदार नही होते
वे लोग यक़ीं मानो भव पार नही होते
जो छोड़ हक़ीक़त को सपनों में जीते हैं
उन लोगों के सपने साकार नही होते
हमने गर धर्मों का मक़सद समझा होता
तो जहन हमारे यूँ बीमार नही होते
सत्ता पूरे मन से निज धर्म निभाती तो
लोगों के हाथों में हथियार नही होते
जिनके दिल में हर पल सच्चाई पलती है
वे लोग किसी भी पल लाचार नही होते
अपने कर्तव्यों की जिनको परवाह नही
उन लोगों के कुछ भी अधिकार नही होते
जिनके अपनेपन में सचमुच अपनापन है
अपनों की राहों में दीवार नही होते
सतीश बंसल
१०.११.२०१८