गीतिका/ग़ज़ल

जिन लोगों के सच्चे किरदार नही होते

जिन लोगों के सच्चे किरदार नही होते
वे लोग यक़ीं मानो भव पार नही होते

जो छोड़ हक़ीक़त को सपनों में जीते हैं
उन लोगों के सपने साकार नही होते

हमने गर धर्मों का मक़सद समझा होता
तो जहन हमारे यूँ बीमार नही होते

सत्ता पूरे मन से निज धर्म निभाती तो
लोगों के हाथों में हथियार नही होते

जिनके दिल में हर पल सच्चाई पलती है
वे लोग किसी भी पल लाचार नही होते

अपने कर्तव्यों की जिनको परवाह नही
उन लोगों के कुछ भी अधिकार नही होते

जिनके अपनेपन में सचमुच अपनापन है
अपनों की राहों में दीवार नही होते

सतीश बंसल
१०.११.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.