कविता

निर्भय कन्या….

शक्ति अर्थात निर्भयता व प्रकाश
शक्ति और कन्या एक दूसरे के पर्याय हैं
जीवन की सार्थकता
निर्भय और प्रकाश का संगम
नारी शक्ति का साकार रूप
हर स्त्री में आद्द्य शक्ति का भाव
स्त्री प्रकृति तत्व है
शक्ति है और शक्तिमान भी
शक्ति स्त्री है और स्त्री ही शक्ति है
पुरुषों की शक्ति भी स्त्री में ही समाहित है
देवी यानी प्रकाश
शक्ति यानी भयमुक्त जीवन
स्त्री या देवी का अर्थ-निर्भय शक्ति
निर्भय स्त्री ही देवी है
जगत की जननी है,माँ है, वही शक्ति है
कोमलता और कठोरता का विहंगम मेल
भय और निर्भयता का संगम
क्रोध और ममता का समंदर
हर रूप में हर भाव में विद्यमान है
समस्त जगत के सृजन की क्षमता है
सबकुछ स्वयं में समेटने की अद्भुत स्वामिनी है
स्त्री तू अभिमान है, नारी तू महान है।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]