विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का सेकुलर चेहरा बेनकाब
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर हर पांच वर्ष में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद सरकारें बदलती रहती हैं। पांच प्रांतों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया अब समापन की ओर अग्रसर है। जनता इस बार बहुत ही शांत तरीके से भारी मतदान कर रही है जिसके कारण सर्वेक्षणकर्ता और बूथ मैनेजमेंट करने वाले सभी लोग हैरान हैं। सभी का यही कहना है कि इस बार मतदाताओ में जिस प्रकार का उत्साह देखा जा रहा है, वह काफी हैरान करने वाला है। लोकतंत्र में चुनाव परिणाम कुछ भी हो सकते हैं।
लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में भाजपा व काग्रेंस सहित महागठबंधन बनाने में लगे सभी दलों की रणनीतियों में काफी बदलाव देखने को मिला है। जिसमें सबसे अधिक चर्चा कांगे्रस की हो रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा को हराने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपनाते नजर आये हैं। कांग्रेस इस बार उदार हिंदू समाज के हर वर्ग से लेकर किसानों बेरोजगार युवाओं और महिला सुरक्षा सहित अल्पसंख्यकों को भी रिझाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस ने इस बार छत्तीसगढ़ से लेकर तेलंगाना तक धर्म और जातिवाद की राजनीति करने की सभी प्रकार की सीमाओं को तोड़ दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हिंदू जनमानस में उदारता का भाव जगाने व दिखाने का गहरा दबाव था। जिसके कारण चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी वही रणनीति बनायी, जो गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान बनायी थी। राजस्थान में राहुल गांधी ने अपनी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए अपना गोत्र तक बता दिया। सभी राज्यों में किसानों के बीच जाकर कर्जमाफी का जोरदार दावा कर रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषक इसे राहुल गांधी का ब्रहमास्त्र भी बता रहे हैं, लेकिन गोत्र प्रकरण में वह फंसते नजर आये हैं, क्योंकि उसके पहले वह जनेऊधारी ब्राह्मण बन गये थे और नकली ब्राह्मण कहकर उनका मजाक बनाया जा रहा था।
राहुल गांधी ने इस बार विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए हर प्रकार के ऐसे हथकंडे अपनाने का प्रयास किया है जैसा कि हिंदी फिल्मों का हीरो अपनी नायिका का दिल जीतने के लिए करता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने अपने सभी हथियारों को बखूबी अजमाया है। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में हिंदू सवर्ण मतदाता को रिझाने के लिए गौ कार्ड खेला, लेकिन कांगे्रस के मैनेजरों को इससे ही संतोष नहीं हो रहा था, अपितु उन्होंने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में 90 फीसदी मतदान कराने का वीडियो वायरल करवा दिया था, जिसमें कमलनाथ की ओर से कहा जा रहा था कि अल्पसंख्यकों की ओर से हर हाल में 90 फीसदी मतदान होना ही चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो एक बार फिर विधानसभा चुनाव जीतना बेहद कठिन हो जायेगा।
साथ ही मुस्लिमों को रिझाने के लिए संघ व उसकी शाखाओं पर प्रतिबंध लगाने की भी बात कही गयी। मतदान के दिन व उसके बाद यह भी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस के बूथ मैनेजरों ने अपने मुस्लिम मतदाताओं को घरों से बाहर निकालने पर अधिक जोर दिया और वह हिंदू समाज व सवर्ण मतदाता को निकालने पर उतना ध्यान नहीं दे रहे थे। यहां पर भी कांग्रेस का अल्पसंख्यक प्रेम नजर आया है। बूथ जीतो पर जोर दे रही बीजेपी के रणनीतिकारों को कांग्रेस व विरोधी दलों की इस रणनीति को अभी से समझना होगा तथा वह इसी प्रकार की रणनीति को आगामी लोकसभा चुनावों में भी अपनाने जा रहे हैं।
कांग्रेस का सबसे विस्फोटक चेहरा तेलंगाना में सामने आ गया है। तेलंगाना में कांगेस ने अपने सहयोगी दलों के साथ जो चुनावी घोषणापत्र जारी किया है उसमें अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सच्चर कमेटी और सुधीर कमेटी को लागू करने की बात कही गयी है। लेकिन कांग्रेस पार्टी अपने चुनावी वायदों से कहीं आगे निकलती नजर आ रही है। तेलंगाना चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए बहुत बडे़ वायदे कर दिये हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने पत्र में मस्जिदों और चर्च को मुफ्त बिजली, इमाम और पादरियों को हर महीने सैलरी और वक्फ बोर्ड को न्यायिक शक्ति देने सहित कई वायदे किये हैं। घोषणापत्र के मसौदे के अनुसार गरीब अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कई वायदे किये गये हैं जिसमें गरीब छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख का लोन दिया जायेगा जबकि बीपीएल कार्ड धारकों को घर बनाने के लिए 5 लाख रूपये दिये जायेंगे।
कांगे्रस ने सत्ता में आने पर उर्दू को दूसरी राज्य भाषा का आधिकारिक दर्जा देने का भी वादा किया है। इतना ही नहीं कांगे्रस ने दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के साथ दो बेडरूम का घर देने का वादा भी किया है। मुस्लिम ईसाईयों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए अलग से तीन वित्तीय निगम स्थापित करने भी बात की है। आज यही कांग्रेस व महागठबंधन का असली चेहरा है। कांग्रेस झूठ और नकली धर्मनिरपेक्षता का जहर उगलकर एक बार फिर सत्ता में आने का ताना बाना बुन रही है। अगर कांग्रेस की यह साजिश सफल हो गयी तो देश एक बार फिर अंधकार के गहरे युग में चला जायेगा, इसलिये हिंदू जनमानस को सोते समय भी लगातार जगना है। अगर वह जागते समय भी सो गया, तो यह समस्त भारत के हिंदू जनमानस और भारत का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।
लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी चुनाव आयोग के हाथ बंधे हुए हैं। अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग धर्म के आधार पर जारी होने वाले घोषणापत्रों पर स्वतः संज्ञान लिया करे। वाकई कांग्रेस का चरित्र उसकी दोहरी मानसिकता और कन्फयूजन बार-बार उजागर होता है। लेकिन इन सबके बावजूद अभी फिलहाल कांग्रेस मुक्त भारत का सपना पूरा होना आसान ही नहीं, बहुत कठिन होता नजर आ रहा है। अभी कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा तथा समस्त संघ परिवार को बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
— मृत्युंजय दीक्षित