दिलखुश जुगलबंदी
गुलिस्तां मेरी सल्तनत है
इस सल्तनत के हैं हम बादशाह
गुंचे भी मिलेंगे हज़ारों यहां
ज़र्रा ज़र्रा घूम के तो देख
रात के अंधियारे में
तारे भी उतरते हैं
हमारी सल्तनत में
करते हैं गुफ्तगू
चले जाते हैं
सूरज की रोशनी आने से पहले.
हमारी सल्तनत में
सितारे भी चमकते हैं
फूल अपने पूरे शबाब पर
महकते हैं
पंछी अपनी मधुरिम ध्वनि से
चहकते हैं
आसमान में एक तरफ सूरज
तो एक तरफ चांद
दोनों साथ-साथ
दमकते-चमकते हैं.
आपकी सल्तनत बेशक जन्नत है
जिसके ज़र्रे ज़र्रे में छाई ख़ुशी है
परिंदे कांधों पर रुकते हैं
संगीत उनका
गीत आपका
चांद और सूरज की ऐसी छटा
मिसाल है कमाल दोस्ती की.
जन्नत की इस दास्तां पर
हम भी कुछ फरमाते हैं
परिंदे अपने संगीत में
गीत हमारा गाते हैं
चांद और सूरज भी
कमाल की दोस्ती की
मिसाल दिखाते हैं
फूल भी हमारी राहों में
गलीचा बनकर बिछ जाते हैं,
दोस्ती की ऐसी मिसाल
और कहां हम पाते हैं?
आपका फरमाना बन गया
गीत हमारे लिए
कुछ परिंदे हैं दोस्त मेरे
जो आपके परिंदों के गीत
याद करके
हमें सुनाते हैं
तब फूलों की खुशबुएं
गलीचा बन जाती हैं
यह दोस्ती की मिसाल बन जाती है.
फेसबुक पर सुदर्शन खन्ना और लीला तिवानी की काव्यमय जुगलबंदी
आपका फरमाना बन गया
गीत हमारे लिए
कुछ परिंदे हैं दोस्त मेरे
जो आपके परिंदों के गीत
याद करके
हमें सुनाते हैं
तब फूलों की खुशबुएं
गलीचा बन जाती हैं
यह दोस्ती की मिसाल बन जाती है. वाह किया बात है ,सुदर्शन खन्ना और आप की जुगलबन्दी कमाल की लगी .
प्रिय गुरमैल भाई जी, हमने आपका संदेश अपना ब्लॉग में लगा दिया था. दिलखुश जुगलबंदी के लिए हमारी तरफ से भी बहुत-बहुत धन्यवाद और सुदर्शन भाई की तरफ से भी. ऐसे ही हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
कभी-कभी ऐसा संयोग होता है, कि फेसबुक पर हमारे पाठक-कामेंटेटर्स आमने-सामने होते हैं. ऐसा ही संयोग बुधवार 28 नवंबर, 2018 को हुआ. हम सुबह अपनी पोस्ट को फेसबुक पर अपलोड करते समय अपने सदाबहार कैलेंडर ऐप से दो अनमोल वचन भी पब्लिश करते हैं. सुदर्शन खन्ना जी कभी-कभी उन पर शायरी करते हैं. संयोगवश कल सुदर्शन खन्ना जिस समय फेसबुक पर शायरी कर रहे थे, हम भी लाइन पर थे और शायरी की महफिल जमती रही और हमारी इस काव्यमय जुगलबंदी ने ”दिलखुश जुगलबंदी” का रूप ले लिया. आप चाहें तो इसे दिलकश जुगलबंदी या और कोई नाम भी दे सकते हैं, ऑस्ट्रेलिया में हम अनेक बार एक ही समय सूरज-चांद को आसमान पर एक साथ देख चुके हैं, यह नजारा हम आपको पहले भी बता चुके हैं, इसलिए आप इसे दोस्ती की मिसाल भी कह सकते हैं. बहरहाल हमने इसे ”दिलखुश जुगलबंदी” से संबोधित किया है, शेष आपकी राय ही कुछ कह सकेगी.