प्रेम….
प्रेम अहसासों की बंधी एक डोर है
रहो चाहे कहीं भी तुम
मन खिंचा चला जाता वहीं
जिसपर दिल फिदा है
एक खास जज्बातों की छांव है प्रेम
शीतल ठंडी हवाओं की छुअन
स्पर्श करता अंतर्मन
भावनाओं का सागर है प्रेम
भींग जाता जिसमें रोम-रोम
उत्तेजना की लहर में बहकर
एक हो जाते दो अजनबी दिल
एक खुशबू है प्रेम
जिसकी सुगन्ध से
जिंदगी होती गुलजार
हर सांस में घुल जाती है
प्रीत का रंग।