कविता

हर तरफ यहां जय विजय रहे

अब तक जो फर्श पे यहां रहे
अबकी वो अर्श पे हो जाये
खुशियां ही खुशियां चहुुं ओर दिखे
ऐसी नई सुबह आये

बुनियाद जो अब तक त्रास की थी
ओ सारी ध्वस्त यहां पर हो
सर कोई अपना ना पीटे
हर कोई मस्त यहां पर हों

दामन मे सितारे सबके हों
कुदरत के सहारे सबके हों
नववर्ष यहां मंगलमय हो

इस बरस न कोई यहां तरसे
इस कदर यहां पे खुशी बरसे
जब नीले गगन से तू देखे तो
खुशी दिखे तुझे हर घर से।

नई सुबह की किरनों से
दूर यहां सारा भय हो
नववर्ष यहां मंगलमय हो

नई सुबह में नया जोश हो,
दिलों मे अब ना कोई रोश हो
नववर्ष में इतना प्यार मिले
खुशी से हर कोई मदहोस हो

यहां पे बस प्रेम की लय हो
नववर्ष यहां मंगलमय हो

हर तरफ खुशी की लहर उठे
मुस्काते सब हर पहर उठे
बस अपनीं मंजिल पाने को
लक्ष्य पे अपने रहे डटे

संस्कृति यहां की अमर रहे
चहूँ ओर इसकी का (राज) रहे
इक अमर उजाला बना रहे
हर तरफ यहां जय विजय रहे
सूरज की प्रथम किरन से जय हो
नववर्ष यहां मंगलमय हो

राजकुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782