हम चुप है
चुप रहने में समझदारी है,
इसलिए हम चुप है,
पत्थर बोलना चाहते है,
पर इंसान चुप है
हर तरफ मारामारी है,
हम चुप है
जिंदगी तकलीफ देती है,
हम गम को सहते हुए चुप है
पढाई का बुरा हाल है,
बच्चो का न कहकर हम चुप है
दहेज का बोलबाला चारो ओर है,
पर हम चुप है
मौसम का बुरा हाल है,
हम पर्यावरण पर चुप है
हर तरफ कालाबाजारी है,
पर हम चुप है
देश के नेता लूट रहे है,
पर हम चुप है
भूख से जनता मर रही है,
पर हम चुप है
किसान हमारे लुट रहे है,
हम चुप है
हम चुप ही रहेंगे हमेशा,
मुँह खोले तो यही बोले
की सरकार चुप है
— गरिमा