कविता-मेरा भारत!!
जहाँ राम नाम का जप चलता हो,
हो राधाकृष्ण की पूजा ।
सारे जहाँ मे कही मिला ना,
भारत जैसा दूजा ।।
उसी धरा को आज पुनः ,
है दुष्टो ने नरक बनाया ।
अपना अपना स्वारथ लेकर,
है डेरा पुनः जमाया ।।
कंसो के इस दमन चक्र मे,
धरती पूरी काप रही।
इतिहास वही दुहराया है लगता,
दुनिया पूरी भाँप रही ।।
मानवता अब तोड़ रही दम,
कायरता है भारी ।
आँखें बंद कर सभी है बैठे,
नंगी होतीं नारी।।
अपनी अपनी सोच लिए सब,
बैठे आँख झूकाये।
चौराहों पर लूट रही इज्जत,
कैसे कोई बचाये।।
कायर बनी, वीरो की धरती,
भुजा नही अब फडके।
गीता कहती शस्त्र उठाओ,
जीतो दुनिया लड़के ।।
स्वाभिमान गर जिन्दा हो तो,
फिर अर्जुन बन जाओ।
फाड़ दो सीना दुर्योधन का,
भारत का मान बढाओ।।
युगों युगों से इस धरती पर,
जब भी पापी आये।
हमने मिलकर लड़ा युद्ध है,
नामों निशा मिटाये ।।
हृदय जौनपुरी