अवधी कविता- जाईके सबके उनके दुआरें
गुरू जाईके सबके उनके दुआरें
केहू आज गईल
केहू काल समईल,
बहुते आज काल करत
जीवन कट गईल,
ना कुछ समझ में
आईल,
जब प्राण छूटे रामा
ई दुनियां झूठे रामा,
दिन के अजोरियां में
काम किया सब अधियारें
अरे गुरू जाईके सबके उनके दुआरें,
केकरा पर अहम बाटें
ना जीत ना बाट
जाबे खाली हाथ
नफरत का ना बीज
बोआ
दौलत पर नाज कर
छोटी जीवन में राज कर
वो जब पुकारे
अरे गुरू जाईके सबके उनके दुआरें।
— अभिषेक राज शर्मा