सामाजिक

संयोग पर संयोग-9

ब्लॉगराजकुमार भाई से मुलाकात  
एक बार फिर संयोग पर संयोग की बात करते हुए हम राजकुमार भाई से मुलाकात करने चलते हैं.

यों तो राजकुमार बहुत हैं. हर एक पुत्र अपने माता-पिता का राजकुमार होता है. राजकुमार पिक्चर के जाने-माने हीरो भी रहे हैं, जिनकी अदाकारी का लोहा दुनिया ने माना है. आज सुबह उठते ही एक और राजकुमार से मुलाकात हुई. ये राजकुमार मणिपुर के क्रिकेटर हैं. मणिपुर के एक युवा गेंदबाज ने एक पारी में सभी 10 विकेट लेकर दिग्गज गेंदबाज अनिल कुंबले की याद दिला दी. इस युवा क्रिकेटर का नाम रैक्स राजकुमार सिंह है. उन्होंने यह उपलब्धि अंडर-19 खिलाड़ियों के लिए खेली जा रही कूच बिहार ट्रोफी के एक मैच में हासिल की. आज हम एक जानदार-शानदार लेखक-कवि-ब्लॉगर राजकुमार कांदु भाई के बारे में बात करते हैं.
राजकुमार भाई सुप्रसिद्ध कथा शिल्पी और शब्दों के अभियंता हैं. जैसे अभियंता शस्त्रों के मनचाहे प्रयोग से मनचाहा निर्माण कर देते हैं, आप भी शब्दों के मनचाहे प्रयोग से मनचाहा सृजन कर पाठक को भावाभिभूत कर देते हैं. राजकुमार भाई को अपनी कीमत बढ़ाना आता है, इसके लिए उनके पास जुगत लगाने का हुनर भी है और मेहनत करने का माद्दा भी. इसलिए वे जिस भी साइट पर विराजते हैं, वहां के राजकुमार बन जाते हैं.
गुरमैल भाई इनकी तारीफ करते नहीं थकते. रविंदर भाई ने इनके बारे में लिखा है-
”आदरणीय लीला बहन जी,आपने प्रतिक्रियाओं के बीच से हीरा-जवाहर खोज निकाला है. कलम के धनी प्रेमचंद जी जैसी शैली वाले छोटी-से-छोटी बात को पूरे मनोवैज्ञानिक ढंग से समझ-बूझ कर लिखने की कला में माहिर, वातावरण , विभिन्न पात्रों की भाषा, जीवन शैली पर पैनी नजर रखने वाले, फिल्मों के संवाद लेखकों को भी मात देते हैं. में तो इनका फैन हूँ.”
इनके फैन इंद्रेश भाई भी हैं-
”आदरणीय लीला बहन राजकुमार जी बहुत ही उच्च कोटि के लेखक हैं. उनकी इंसानियत नामक श्रंखला का मैं बड़ा शैदाई हूँ.”

हम हमेशा की तरह राजकुमार भाई के भी दो रूपों की चर्चा करेंगे- ब्लॉगर रूप और पाठक-कामेंटेटर रूप.

राजकुमा भाई बहुत-सी साइट्स पर कार्यरत हैं. अपना ब्लॉग पर उनकी साइट है-

राजकुमार भाई का ब्लॉग अंतर्मन की फरमाइश
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/author/rkandu879gmail-com/

जय विजय पर उनकी साइट है-
https://jayvijay.co/author/rajkumar/

इसके अतिरिक्त वे उड़ान तथा अन्य कई कथामंचों और साहित्यमंचों से भी जुड़े हुए हैं. उड़ान के मंच पर उड़ान भरते ही वे विजेता बन गए और उसके एडमिन बन गए. उनके बारे में हमें इससे अधिक इसलिए नहीं पता, क्योंकि वे इन कथामंचों के एडमिन भी हैं, इसलिए वे न तो अपना ब्लॉग पर नियमित रह पाते हैं न जय विजय पर. व्यस्तता के चलते वे हमें कुछ बता भी नहीं पाए, अब आपको कामेंट्स में बताएंगे.

राजकुमार भाई पहले जय विजय साइट से August 04, 2016 से जुड़े हुए हैं. यहां उनकी 410 रचनाएं लिखी गई हैं.
राजकुमार भाई अपना ब्लॉग पर ”मगरूर और मजबूर” ब्लॉग से January 12, 2017 से जुड़े हुए हैं. इस दौरान उन्होंने 130 रचनाएं लिखीं, जो गुणवत्ता की दृष्टि से भी अत्यंत नायाब बन पड़ी हैं.

राजकुमार भाई की एक खासियत उन्हें बहुत विशेष बनाती है. वे एक कथा को लघुकथा के रूप में शुरु करते हैं. विस्तार होते-होते वह छोटी कहानी, फिर बड़ी कहानी और अंततः धारावाहिक उपन्यास का रूप ले लेती है. नई चेतना, इंसानियत: एक धर्म आदि ऐसी ही श्रंखलाएं हैं. आजकल वे ममता की परीक्षा लिख रहे हैं.

कथा शिल्पी राजकुमार भाई लघुकथाओं के शहनशाह हैं, तो अनेक कविताओं के सर्जक भी. सदाबहार काव्यालय- 1 में उनकी 5 कविताएं सम्मिलित हुई थीं, जिन्हें बहुत पसंद किया गया.

अब तनिक राजकुमार भाई के पाठक-कामेंटेटर रूप की चर्चा भी कर ली जाए. एक पाठक-कामेंटेटर के रूप में राजकुमार भाई बहुत ही सधे हुए और सुलझे हुए पाठक-कामेंटेटर हैं. उनकी एक-एक प्रतिक्रिया अपनी मिसाल आप है. 11 जून, 2016 से हमारे एक नए पाठक और कामेंटेटर राजकुमार कांदु भाई हमारे साथ अंत्याक्षरी से एकोमोडेशन तक ब्लॉग में जुड़े. 

राजकुमार भाई के नाम व काम से तो आप सब लोग भलीभांति वाकिफ़ हैं. उनसे हमारी मुलाकात तब हुई थी, जब उन्होंने हमारे ब्लॉग पर सबसे पहली प्रतिक्रिया लिखी थी. प्रतिक्रिया लिखनी हो या ब्लॉग, उनकी लेखनी सशक्त होती है, सटीक और सार्थक भी. उनकी प्रतिक्रियाओं की कुछ ताज़ातरीन बानगियां हमारे ब्लॉग्स से देखिए-
सोशल मीडिया की सोशलता
”आज आपने संपर्क के सबसे प्रचलित व सशक्त माध्यमों की अपने ही तरीके से चर्चा कर दी है. लेख बड़ा सुंदर लगा. यह सरकार ही सोशल मीडिया की सरकार है. प्रभुजी ने एक ट्वीट पर रेल यात्रियों की शिकायतें दूर करके वाहवाही बटोरी, वहीं इस मामले में सुषमा जी भी काफी सक्रिय दिखीं. मोदीजी तो ट्वीट और सेल्फी के लिए कभी कभी विरोधियों के निशाने पर भी रहते हैं. सभी अच्छी चीजों की तरह इसके भी कुछ नकारात्मक पहलू हैं, जो दुखद है. एक मंत्री का फेसबुक का उपयोग करना और लोगों के मदद का प्रयास सराहनीय है.”
सफलता और रेकॉर्ड की बरसात
”बेहद शानदार ब्लॉग जिसमें आपने अपने ही अंदाज में सभी रिकार्ड्स का रिकॉर्ड रखा है. अंतरिक्ष मे सबसे ज्यादा दिन बिताने का रिकॉर्ड हो या क्रिकेट से संबंधित रिकॉर्ड सभी रिकॉर्ड नायाब हैं. धोनी अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से सर्वप्रिय हैं. उन्होंने व्यक्तिगत रिकॉर्ड को कभी महत्व नहीं दिया, यह हमने तीसरे मैच में भी देखा था जब 49 के स्कोर पर होने के बाद भी उन्होंने स्ट्राइक मनीष पांडे को दे दिया था. 100 स्टाम्प लेने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के साथ ही धोनी ने सर्वाधिक बार नाबाद रहने का अपना रिकॉर्ड और बेहतर कर लिया है. टोडरमल की कहानी भी प्रासंगिक लगी.”

रिश्तों की गर्माहट

”रिश्तों में गर्माहट रखना हमारी संस्कृति और सभ्यता का एक प्रमुख स्वभाव है. हमारी पीढ़ी तक शायद यह रिश्तों की गर्माहट बरकरार रखने की छटपटाहट देखी गयी है, पर आज ऐसा नहीं प्रतीत होता है. आभासी दुनिया के मकड़जाल में युवाओं के रिश्ते भी आभासी हो चले हैं. अब तो यही सही लगता है आज के लोगों की सोच के बारे में ‘ दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिये ….. रिश्तों की गर्माहट बनाये रखने के लिए हमें कई मौके मिलते हैं और हमें उनका सदुपयोग करते हुए रिश्तों की गर्माहट बनाये रखनी चाहिए. हमें जो पसंद है वही दूसरों को देने की कोशिश भी रिश्तों की गर्माहट जारी रख सकती है. अब रिश्तों की गर्माहट का ही सबसे सुंदर उदाहरण आपका ब्लॉग है, जहां पाठक दिल खोलकर अपने रिश्तों की गर्माहट का इजहार अपनी प्रतिक्रियाओं द्वारा करते हैं.”
धोनी की ‘ट्रिपल सेंचुरी’

”क्रिकेट में एक मुहावरा बन गया था ‘ अनहोनी को होनी कर दे ,वही है अपना धोनी ‘. अपने फैसलों से खेलजगत को चौंकाने वाले तथा फिर अपने ऊटपटांग फैसले के बूते ही सफलता हासिल करके खुद को सही साबित करने का माद्दा था, धोनी में जिसकी आज दुनिया कायल हो चुकी है. 2007 में 20 – 20 वर्ल्ड कप के अंतिम ओवर में गेंद बिल्कुल नए गेंदबाज जोगिंदर को देने का उनका निर्णय कौन भुला सकता है, लेकिन यह भी एक गौरवशाली इतिहास बन गया कि धोनी के उसी फैसले ने भारत को पहला वर्ल्ड कप टी 20 का जितवा दिया था. एक धुरंधर खिलाड़ी के अपने ताज को बरकरार रखते हुए धोनी सीमित ओवरों के इस खेल में अपना 300 वां मैच खेल कर भारत की तरफ से चौथे सबसे अधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ी बन गए. बधाई ! सबसे अधिक बार नाबाद रहने का रिकॉर्ड तो बना ही चुके हैं, मात्र एक रन से अर्धशतकों का शतक लगाने से चूक गए. विकेटों के पीछे शिकार करने का भी रिकॉर्ड उनके ही नाम होनेवाला है.”

आपने देखा होगा, कि उनकी हर प्रतिक्रिया लिखने में लगन के दर्शन होते हैं. और एक-एक शब्द चुना हुआ होता है. चुने हुए शब्दों की बात चल ही निकली है, तो उपन्यास ‘इंसानियत – एक धर्म’ की बात कर लेते हैं. सबसे पहले हम आपको उपन्यास ‘इंसानियत – एक धर्म’ की एक रोचक बात बता देते हैं. यह उपन्यास एक लघुकथा के रूप में शुरु हुआ था, लघुकथा ने बड़ी कहानी का रूप ले लिया, अंततः बड़ी कहानी ने उपन्यास का रूप ले लिया. अब तक इस उपन्यास की 32 कड़ियां प्रकाशित हो चुकी हैं. एक-एक कड़ी नायाब बन पड़ी है. जैसा कि नाम से ही विदित होता है, ‘इंसानियत – एक धर्म’ में इंसानियत को ही एक धर्म के रूप में स्थापित किया गया है.
नई चेतना: एक अनूठी कहानी
”श्रद्धेय बहनजी ! मेरी एक रचना ,नई चेतना , को आपने हर भाग में सराहा और अपनी नायाब और उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं द्वारा मुझे आगे लिखने का हौसला प्रदान किया / इसके लिये मैं आपका हृदय से आभारी हूँ / अब इस रचना को अपने ब्लॉग द्वारा अपने पाठकों से परिचित कराने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद / आपकी प्रतिक्रियाएं मेरे लिये चैतन्य प्रदान करने का जरिया बनीं और फिर कहानी में तो चैतन्य आना ही था / इसी कहानी से सम्बंधित इतने सुन्दर लेख के लिये आपका धन्यवाद / गुरमैल भाई साहब का भी हृदय से शुक्रगुजार हूँ / उन्होंने भी कदम-कदम पर उत्साहित किया और अभी इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया लिखी है / इसी लेख में प्रकाशजी की प्रतिक्रिया भी दिल को छू गयी / धन्यवाद.

नई चेतना: एक अनूठी कहानी
जीवन एक कहानी है। कभी सालों साल चलने वाले सीरियल के रूप में या सम्पूर्ण एक किताब, चार पन्नों में सिमटने वाली या फ़िर लघु कथा के रूप में सामने आती है। लेकिन हर कहानी के अंत में एक शिक्षा मिलती है जिसे चंद पंक्तियों में लिखा जाता है। यह अंत इतना महत्वपूर्ण होता है जो अनूठी कहानी को पूरा पढ़ने के लिए प्रेरित करती है, नई चेतना जागृत करती है। महोदया एक सार्थक ब्लॉग के लिए, बहुत शुभकामनाएं।
प्रकाश मौसम

राजकुमार भाई पर लिखे कुछ ब्लॉग्स-
इंसानियत के शैदाई: जन्मदिन मुबारक राजकुमार भाई
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B6%E0%A5%88%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BF/

लेखक बनने की बधाई: राजकुमार कांदु भाई
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/?p=47266

नई चेतना: एक अनूठी कहानी
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%B2-%E0%A4%B2-%E0%A4%B8-%E0%A4%B9-%E0%A4%A4-%E0%A4%AF-%E0%A4%A8%E0%A4%88-%E0%A4%9A-%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A0-%E0%A4%95%E0%A4%B9-%E0%A4%A81/

उपलब्धियों के राजकुमार

https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%B2-%E0%A4%B2-%E0%A4%A6-%E0%A4%B6-%E0%A4%A6-%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B2%E0%A4%AC-%E0%A4%A7-%E0%A4%AF-%E0%A4%95-%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%B0/

राजकुमार कांदु की 5 सदाबहार कविताएं

https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%81-%E0%A4%95%E0%A5%80-5-%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE/
दूसरा मौका (लघुकथा)

https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A4%98%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE/

शहनशाह (लघुकथा)

प्रतिभा अपनी राह खुद ढूंढ लेती है, राजकुमार भाई ने भी अपनी राह खुद ढूंढ ली. भजनों में भी राजकुमार जी को काबिलियत हासिल है. गिरधर गोपाल, मां शेरांवाली, गणपति पर बेहद खूबसूरत भजन राजकुमार जी की लेखनी से निर्झरित हुए हैं.

प्रिय पाठकगण, हम यह जानते हैं, कि राजकुमार भाई आपके ब्लॉग्स पर भी आते हैं. आप कामेंट्स में उनकी किसी विशेषता को बताना चाहें या किसी प्रतिक्रिया विशेष का उल्लेख करना चाहें, तो आपका हार्दिक स्वागत है.

राजकुमार भाई आजकल व्यस्तता के कारण संभवतः ब्लॉग्स पढ़ते हैं, पर  प्रतिक्रियाएं नहीं लिख पाते हैं. हम उनको यह ब्लॉग भेज देंगे, समय होगा तो सबको धन्यवाद देने अवश्य आएंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “संयोग पर संयोग-9

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय बहनजी ! यह ब्लॉग पढ़कर आपका स्नेहिल अपनत्व महसूस करके मैं अभिभूत हूँ । शायद धन्यवाद शब्द इस ब्लॉग के लिए बहुत ही छोटा होगा , मैं आजन्म दिल की गहराइयों से आपका कृतज्ञ रहूँगा । कई साधारण पाठकों को आप ने एक लेखक के तौर पर साहित्य जगत से परिचित कराया है और वो सभी अपनी क्षमता अनुसार साहित्य साधना का अपना कार्य अनवरत कर रहे हैं । मुझे खुशी है कि आपके कृपापात्रों में से एक सौभाग्यशाली मैं भी हूँ ।
    मुझे याद है मेरी किसी भी रचना पर आपके दो शब्द मुझे उत्साहित कर देते थे । ये दो शब्द अगली रचना के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते थे । आज मैं जब अपने मंच पर किसी नव रचनाकार की रचना पर छोटी सी भी टिप्पणी करता हूँ तो उसकी खुशी देखते ही बनती है और मेरी पूरी कोशिश रहती है कि किसी को निराश न करूँ । मंच पर प्राप्त सभी पाठकों का स्नेह व सम्मान मुझे हमेशा उनसे जोड़े रखती है । आपसे मिले स्नेह व उत्साह को इन नवरचनाकारों में बाँट कर मुझे दिली खुशी हासिल होती है । समय मिलते ही मैं आपका ब्लॉग अवश्य पढ़ता हूँ और बहुत कुछ आपसे सीखने का प्रयास करते रहता हूँ । आपके बारे में तो पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है अतः अब संक्षिप्त करते हुए इतना ही कहुँगा अपना स्नेह सदैव बनाये रखियेगा । पुनः कोटिशः आभार !

    • लीला तिवानी

      प्रिय ब्लॉगर राजकुमार भाई जी, मुद्दत बाद आप हमारे ब्लॉग पर आए, आपका हार्दिक स्वागत और शुक्रिया. आपके व्यक्तित्व की विशालता पर्वत के समान है और गहनता हिंद महासागर के समान. फिर भी हम जो कुछ कह पाए हैं, आपने अच्छा समझकर स्वीकारा, यह आपकी ज़र्रानवाजी है. और अपने अपनी अत्यंत व्यस्त दिनचर्या के बावजूद इतना समय निकाला, उसके लिए हार्दिक धन्यवाद. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    प्रिय ब्लॉगर राजकुमार भाई जी, आपके महान व्यक्तित्व की विशेषताएं इतनी विस्तृत हैं, कि उसको एक ब्लॉग में समेटना अत्यंत बहुत मुश्किल है, फिर भी हमने यथासंभव प्रयास किया है. आशा है आप थोड़े लिखे को अधिक मानकर हमें कृतार्थ करेंगे.

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