गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अब जाने की तैयारी है क्या?
पुरानी कोई उधारी है क्या?

एक हाथ में फूल रखे हो
एक हाथ कटारी है क्या?

जवान होकर नहीं उठा रहे हो
मां-बाप का बोझ भारी है क्या?

संसद में सब छिपे पड़े हैं
सीमा पर बमबारी है क्या?

लगा रहा है मोल रिश्तों का
कलयुग का व्यापारी है क्या?

पगड़ी थामे खडा बाप इक
बेटी की ज़िम्मेदारी है क्या?

छिपा रहा बीबी बच्चों से
कोई बड़ी बीमारी है क्या?

आजकल बहुत सोचता है ‘जय’
जंग खुद ही से जारी है क्या?

— जयकृष्ण चांडक ‘जय’

*जयकृष्ण चाँडक 'जय'

हरदा म. प्र. से