पिया की पाती
. सुनो सखी, सुनो आओ
आई आज पिया की पाती हैं
. रात दिन तड़पू मैं यहाँ
याद जब उनकी आती है।
मैं बिरहन उनके बिन
कैसे काटूं अकेली रतियाँ,
किसे बताऊं अपनी उलझन
किससे करूं मन की बतियाँ।
जब से गए दूर देश पिया
चैन ना आए मुझे दिन रैन,
आंखों में बसी उनकी मूरत
झर झर आंसू बहाए दो नैन।
आयेंगे कह गए वो ना आए
दगा किया मुझसे सांवरिया,
मैं तो उनके प्यार में अब
हो गई मीरा सी बावरिया।
ना करती प्रीत जो जानती
प्रीत किए दुख होय,
प्रीत न करो मुझ सा कोई
जग सारा बैरी होय।
लिखी आज पाती मुझे
जब बीती मेरी उमरिया,
तकते तकते राह उनकी
थक गई जब मोरी अखियाँ।
जो ना होती संग मेरे
मेरी प्यारी प्यारी सखियाँ,
कैसे कटते दिन रैन मेरे
किससे करती मन की बतियाँ।
अब आ जाओ प्राण प्रिये
अब और ना मुझे सताओ,
मैं तो तुम्हारी राधा रानी
आकर श्याम मन में बस जाओ।
पूर्णतः मौलिक ज्योत्सना पाॅल।