खो ना जाना बंदे तू
दुनिया है इक भूल भुलैया, खो ना जाना बंदे तू
अपने ही पैरों पर कांटे, चुभो ना जाना बंदे तू
मिला है मौका पार लगा दे, अपनी जीवन नैया
बीच समंदर है तेरी नौका, डुबो ना जाना बंदे तू
जन्म मरण का चक्र, तब तक रहेगा काटता
अपने असल ठिकाने को, जो ना जाना बंदे तू
देह मे खुदकों रहे ढूँढता, पर तू देह नहीं है
मिला नहीं कोई भेदी पक्का, तो ना जाना बंदे तू
माया की इस चकाचौंध मे, चलना संभल-संभल
कर्म भूमि पर बीज बबूल के, बो ना जाना बंदे तू
उठ, जाग, ठहर मत, अर्जुन, मिल जाएगी मंजिल
जागने की इस बेला मे भी, सो ना जाना बंदे तू