गीतिका/ग़ज़ल

अच्छी बात नहीं

छुप छुपकर पलकों को भिगोना, ये तो अच्छी बात नहीं
दिल की बातें दिल में छुपाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

तेरे दरिया होने क्या, राही प्यासा रह जाए
आशिक को अपने तडपाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

जब तक सांसे चलेंगी मेरी, नाम तेरा लव पर होगा
तेरा इतना नखरे दिखाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

मान भी जाओ अब न सताओ, कहना मेरा मान भी लो
पास में रहकर दूर हो जाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

दिल की बातें दिल ही जाने कितनी चाहत है मेरी
ख्वाबों में आना फिर जाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

कौन करेगा इतनी खिदमत, जितनी तेरी करता हूँ
फिर तेरा यह तरसाना, ये तो अच्छी बात नहीं |

-डॉ.अरुण निषाद

डॉ. अरुण कुमार निषाद

निवासी सुलतानपुर। शोध छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। ७७ ,बीरबल साहनी शोध छात्रावास , लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। मो.9454067032