पागल लड़की
वो पागल लड़की है
जो मुझ पर मरती है
बिन बोले आंखों से
वह सब कुछ कहती है
न जाने दिल मेरा
क्यों मुझ से लड़ती है
जो मुझ पर मरती है-२
वो पागल लड़की है
जो मुझ पर मरती है
सपनों में आती है
मेरी नींद चुराती है
वो नींद चुरा करके
दीवाना करती है
जो मुझ पर मरती है-२
वो पागल लड़की है
जो मुझ पर मरती है
दिन-रात ख्यालों में
वो खोई रहती है
छुप-छुप कर लोगों से
वो रोया करती है
जो मुझ पर मरती है-२
वो पागल लड़की है
जो मुझ पर मरती है
©डा.अरुण निषाद