कविता – सुख-दुःख का है आना-जाना
फूलों को ह्रदय से लगाना,
शूलों से फिर क्या घबराना।
रीत सनातन इस जीवन की,
सुख-दुःख का है आना-जाना।।1।।
सुख का स्वागत उमड़-घुमड़कर,
दुःख में नयनों अश्रु भर-भर,
वक्त देखता है छूप-छूपकर,
ऐसे क्या मोती ढ़लकाना।
सुख-दुःख का है आना-जाना।।2।।
सुख में सीना खूब फूलाकर,
दुःख में दिल को खूब रूलाकर,
ठीक नही यूं घुट-घुट जीना,
दुःख में मानव टूट बिखरना।
सुख-दुःख का है आना-जाना।।3।।
सुख में जय का घ्वज पहराकर,
दुःख में रहना यूं घबराकर,
क्या यही वीरता है जीवन की,
‘अमन’ साहस का यूं मर जाना।
सुख-दुःख का है आना-जाना।।4।।
— मुकेश बोहरा अमन