गज़ल
जाने वाले लौट आ कि तबियत उदास है
कोई गीत गुनगुना कि तबियत उदास है
काटने को दौड़ते हैं रेशमी बिस्तर
बाहों में ले सुला कि तबियत उदास है
दम ना निकल जाए मेरा प्यास से साकी
इक जाम तू पिला कि तबियत उदास है
अक्स भी दिखता नहीं अँधेरे में अपना
चिरागों को जला कि तबियत उदास है
हालात से नहीं है तू भी मुतमईन मगर
थोड़ा सा मुस्कुरा कि तबियत उदास है
कमी है वक्त की तुझे ये जानता हूँ मैं
कुछ देर ठहर जा कि तबियत उदास है
— भरत मल्होत्रा