आस
धरती प्यासी, अम्बर प्यासा,
हवाओं का भी रुख उदास,
उड़ चले वो उस दिशा में
पंछी बुझाने अपनी प्यास,
ऐ हवाओं अब दे दो साथ,
लेकर उनकी ये पुकार।
बिन पंखों के मैं उड़ जाऊँ,
पूरी करने उनकी आस।
धरती प्यासी, अम्बर प्यासा,
हवाओं का भी रुख उदास,
उड़ चले वो उस दिशा में
पंछी बुझाने अपनी प्यास,
ऐ हवाओं अब दे दो साथ,
लेकर उनकी ये पुकार।
बिन पंखों के मैं उड़ जाऊँ,
पूरी करने उनकी आस।