ग़ज़ल – आया है नया साल
आया है नया साल, चलो एहतेराम कर लें
गुज़रे हुए लम्हात के क़िस्से तमाम कर लें
झगड़े, फ़सादो-नफ़रत, उल्फ़त के नाम कर लें
लाये जो इन्क़लाब कुछ ऐसे कलाम कर लें
चारों तरफ़ है धूल – धुआँ, धुंध का आलम
क़ुदरत के ख़ज़ाने को बचाने का काम कर लें
बेटी की हो हिफ़ाज़त, खोये न ये विरासत
इंसानियत की राह पे आओ पयाम कर लें
ज़िन्दा है अभी तक तो दरिंदा दहेज़ का
यारो इसे दफ़्नाने का कुछ इंतज़ाम कर लें
माँ-बाप की हो ख़िदमत, मज़लूम हो सलामत
सबसे बड़ी इबादत ये, सुब्हो – शाम कर लें
बढ़ कर गले लगा लें, शिकवे-गिले भुलाकर
‘अहमद’ को राम-राम, ‘भान’ को सलाम कर लें
— इं उदयभान पाण्डेय ‘भान’
आदरणीय उदयभान जी, नये साल की यह ग़ज़ल बहुत खूबसूरत लगी. आप इस ई.मेल [email protected] पर हमसे संपर्क कर सकें, तो हम आपको कुछ सुझाव दे सकेंगे. उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकवाद स्वीकारें.