गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – आया है नया साल

आया है नया साल, चलो एहतेराम कर लें
गुज़रे हुए लम्हात के क़िस्से तमाम कर लें

झगड़े, फ़सादो-नफ़रत, उल्फ़त के नाम कर लें
लाये जो इन्क़लाब कुछ ऐसे कलाम कर लें

चारों तरफ़ है धूल – धुआँ, धुंध का आलम
क़ुदरत के ख़ज़ाने को बचाने का काम कर लें

बेटी की हो हिफ़ाज़त, खोये न ये विरासत
इंसानियत की राह पे आओ पयाम कर लें

ज़िन्दा है अभी तक तो दरिंदा दहेज़ का
यारो इसे दफ़्नाने का कुछ इंतज़ाम कर लें

माँ-बाप की हो ख़िदमत, मज़लूम हो सलामत
सबसे बड़ी इबादत ये, सुब्हो – शाम कर लें

बढ़ कर गले लगा लें, शिकवे-गिले भुलाकर
‘अहमद’ को राम-राम, ‘भान’ को सलाम कर लें

इं उदयभान पाण्डेय ‘भान’

उदय भान पाण्डेय

मुख्य अभियंता (से.नि.) उप्र पावर का० मूल निवासी: जनपद-आज़मगढ़ ,उ०प्र० संप्रति: विरामखण्ड, गोमतीनगर में प्रवास शिक्षा: बी.एस.सी.(इंजि.),१९७०, बीएचयू अभिरुचि:संगीत, गीत-ग़ज़ल लेखन, अनेक साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

One thought on “ग़ज़ल – आया है नया साल

  • लीला तिवानी

    आदरणीय उदयभान जी, नये साल की यह ग़ज़ल बहुत खूबसूरत लगी. आप इस ई.मेल [email protected] पर हमसे संपर्क कर सकें, तो हम आपको कुछ सुझाव दे सकेंगे. उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकवाद स्वीकारें.

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