लघुकथा – नवाचार
अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए लोग न जाने क्या-क्या जतन करते हैं. लाखों का निमंत्रण पत्र छपवाना, शादी पर करोड़ों खर्च करना, इटली जाकर शादी करना, डेस्टीनेशन वेडिंग करना, हवा में उड़ते हुए शादी करना, समुद्र की गहराई में और पर्वत पर शादी करना आदि न जाने क्या-क्या!
अन्य अनेक लोगों की तरह संदीप और शीला भी अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते थे. धूम-धाम, लाइटें, साउंड्स और गिफ्ट्स से अलग वे कोई ऐसा काम करना चाहते थे, जिससे देश-समाज का भी कुछ उपकार हो.
”रिसेप्शन वाले दिन दिन हम रक्तदान कैंप का आयोजन करें, तो कैसा रहेगा?” संदीप ने शीला से पूछा था.
”आइडिया तो बहुत अच्छा है. आशा है कामयाब भी रहेगा. फिर हम विवाह की सालगिरह भी रकदान कैंप आयोजित करके मनाएंगे.” शीला का सोत्साह जवाब था, ”रक्तदान के लिए लोगों को पहले से मानसिक रूप से तैयार भी करना होगा.” शीला का नम्र सुझाव था.
”सही कहा तुमने. मैं पहले से ही अपने मित्रों से इस बारे में बात कर लूंगा.” संदीप भी रोमांचित था.
”एक काम कर सकते हैं. विवाह के निमंत्रण पत्र में ही रिसैप्शन वाले दिन नाश्ते के बाद रक्तदान कैंप का आयोजन का संकेत भी दे देते हैं. इससे हमें किसी को कहना भी नहीं पड़ेगा.” शीला ने उत्सुकता से कहा.
”वाह! यह तो ग़ज़ब का आइडिया है, ऐसा ही करते हैं.” संदीप ने सुझाव पर मुहर लगाते हुए कहा.
निमंत्रण पत्र मिलते ही सभी मित्रों-रिश्तेदारों ने इस नवाचार का स्वागत किया था. रिसैप्शन वाले दिन अन्य लोगों के अतिरिक्त वर-वधू सहित 35 मित्रों-रिश्तेदारों ने भी रक्तदान किया था.
जागरूपता लाने वाली लघु कथा लीला बहन .
यह ग़ज़ब का आइडिया ही नवाचार बन गया. रक्तदान से व्यक्ति-देश-समाज का भी कल्याण होता है और लोगों को समाज सेवा की समझ भी आती है,