फूलों की जूबानी
फुल नहीं कहता किसी से
आओ मुझसे प्यार करो
मोहनी मुस्कान इसकी
बरबस हमें लुभाती है।
काँटों भरे दामन में रहकर
मुस्कूराना सिखाती है।
आकर्षण में मत उलझना
कली हूँ फूल बनने दो जरा।
मस्त यौवन पाकर खुबसूरत
दुनिया को देखने दो जरा।
सारे फुल मुरझाने से पहले
खिलखिलाने लगे।
मस्त पवन के झोंके उनकी
पंखुड़ियों को सहलाने लगे।
जीवन की संध्या आई
मुरझाने से पहले सबको
अपनी ओर आकर्षित कर गई।
कलियों ने फूलों से कहा
उदास मत होना मेरी दिदिया
तुमने अपनी भीनी खुशबू
बाँट कर हमें भी जीना सिखा दिया।
— आरती राय. दरभंगा, बिहार