नया साल
फिर हुआ नव वर्ष का आगमन,
सब करते हैं इसका अभिनंदन,
घर अंगना सबके खुशहाली छाए,
करते प्रभु हम बस इतना वन्दन
खुशियों से भरा हो सबका जीवन,
छोड़ें सभी मन के अवगुंठन
करें नए साल का अभिनंदन
कभी न कलुषित भेदवाव उपजे,
बन्धुत्व भाव रहें सब हिलमिलके
पिछला बुरा छोड़ जो अच्छा बिता
उसको यादों में लेकर साथ चलें
सबके पूरे हों नूतन सपने
न हो कोई दूर हमसे अपने
बदल जाता है नया साल कैलेंडर
साथ बदलें पुरानी सोच और नजरिया
नववर्ष नए भाव सुंदर प्रीत लाये
सबके मन में नई उल्लास जगाये
हरे मनुज मन के अंधियारों को
सुरभित मन नवल दृष्टि पाएं
मिटे अवगुण न हो कोई द्वेष
न अन्तस में हो कोई क्लेश
बहन बेटियां सब रहे सुरक्षित
सभ्य कुटुंब बने हमारा देश।।
✍️सरला तिवारी
प्रिय सखी सरला जी, नए साल की कविता बहुत सुंदर लगी. आपको सपरिवार नया साल मुबारक हो.