प्रेरणा गीत – फूल
रंग – बिरंगे सुंदर कोमल ,
लहराते बलखाते फूल |
बाग – बगीचे की शोभा को
हरदम खूब बढाते फूल |
भेद नही दिखलाते हैं यह
हो अमीर या हो निर्धन |
अपनी महक लुटाते सब पर,
मन सबका हर्षाते फूल |
ईश्वर के चरणो पर चढ कर ,
मन ही मन हर्षित होते |
अर्थी पर जब जब चढते ये ,
श्रद्धा भाव दिखाते फूल |
देवों का गलहार बने ये,
दुल्हन का स्रंगार करे |
मात्र भूमि की बलिवेदी पर,
तन मन से मिट जाते फूल |
दुख सुख में समान रहते ,
हर दिल का भाव समझते ये |
मन मानस के भावों को ,
पल भर में दर्शा जाते फूल |
रंग बिरंगे रूप निराले ,
माला में जब गुथ जाते |
प्रेम -शक्ति सौंदर्य एकता ,
बात यही बतलाते फूल |
खिलता है गुलाब काँटो में ,
देता है यह सबको सीख |
कितने काँटे चुभें पाँव में ,
हँसना तुम काँटो के बीच |
छोटे से अपने जीवन में ,
हर पल मैं मुस्काता हूँ |
अपनी महक लुटा कर जग में ,
मिट्टी में मिल जाता हूँ |
हे मानव जीवन का पल -पल,
तुम भी नष्ट नहीं करना |
अखिल विश्व की इस धरती पर
प्रेम सुधा बरसाना तुम |
अपने कर्मों की सुगंध को ,
पूर्ण जगत में फैलाना |
प्रकृति क्षरण दोहन मत करना ,
सच्ची बात बताता फूल |
© मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’
लखनऊ (उत्तर प्रदेश )
मौलिक रचना