नव युवकों आओ नव युग का निर्माण करें
नव युवकों एक नए युग का चलो निर्माण करें,
जिसमे बस प्यार हो न नफ़रत के बीज उगें |
धर्मों के धागों से ऐसी एक डोर बने ,
अनुपम हो शक्ति पुंज तोड़े से न टूटे |
आतंकी बादल न छाएँ यह यत्न करें,
नेह का सूरज चमके सतरंगी धूप खिले|
रातों की निंदिया न दिन का अब चैन छिने ,
प्यार भरे पल – छिन हों नयनों में स्वप्न पलें|
हरे भरे वृक्षों से यह धरती भर जाए ,
खग कुल का कलरव हो वन्य जीव हर्षाएँ|
सुरभित वातायन हो फिर मलय समीर बहे ,
भारत भूमि फिर से नंदन वन बन जाए |
दरके न यह धरती बाढ़ का न कोप रहे ,
चहुँ दिश हो खुशहाली दुःख कोसों दूर रहे |
सत्यम – शिवम – सुंदरम की बस छाँव रहे ,
एक रहें नेक रहें पावन यह देश रहे |
नफ़रत भुलाके भ्रष्टाचार का विनाश करें,
नव युवकों आओ नव युग का निर्माण करें |
मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’
लखनऊ ( यू पी)