बेटी की शादी।
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ममता यूं तो बीच वाले भाई की पत्नी थी पर जाने क्यों न तो उसे देवरानी से सम्मान मिलता था न ही जेठ जेठानी से प्यार। सास के पास बहुत पैसा था सब बेटे आज्ञाकारी पर ममता की किस्मत में संघर्ष और कड़ी मेहनत लिखी थी। तीनो भाईयों में ममता के पति राज के पास पैसौं क कमी थी , वो मेहनत से जी चुराता था। शादी के वक्त़ अपना छोटा सा व्ययापार करता था पर जल्द ही घाटे पड़ते गए और काम बंद हो गया निराशा में फिर किसी काम के लिए कौशिश भी नहीं की । पत्नी ने समझाया कि ऐसे काम नहीं चलता आप कौशिश करो मैं आपका साथ दूंगी पर आलस्य ने भी पीछा नहीं छोड़ा राज को लगा माँ को पिता जी की पैंशन मिलती है किराए पर कमरा दिया हुआ है निकल जाएगा समय। ममता सब की बातें सुनती और चुपचाप घर का काम करती , भाई और ममी से कहकर माएके के पास ही स्कूल ज्वाईन कर लिया था और कुछ ट्यूशन भी रख ली थी। रोज सुबह उठ कर घर क काम करके स्कूल जाती फिर ममी के पास खाना खाती और ट्यूशन पढ़ाकर शाम को घर आती और आते ही किचन में काम करती। सासु माँ तानो की बौछार से स्वागत करती। ममता का कोई साथ देने वाला नहीं था । यहां तक पति भी नहीं , बच्चे अभी छोटे थे एक लड़की और एक लड़का। समय बीतने लगा था, सास ने सभी बेटों को अलग कर दिया था किसी को ऊपर वाला कमरा मिला तो किसी को नीचे वाला। ममता को भी एक छोटा कमरा मङल गया था , सासु मां बड़े बेटे के साथ रहती थी। ससब भाईयों के बेटे थे बस ममता और राज की बेटी थी, सासु मां बात बात पर ममता को डांटती कमरा गंदा कर रखा है खाना बनाती है तो सारे घर में धुआं हो जाता है दुखी कर रखा है। ममता भी इंसान थी, उसे भी बुरा लगता था पर ससुराल में तो कोई उसे समझना ह नहीं चाहता था। कुछ रिश्तेदारों को हमदर्दी थी ममता के साथ पर उसकी सास के डरते वो कुछ कहते नहीं थे। अब लड़की की शादी की उम्र भी हो चली थी, दोनो भाई और सासू माँ यही कहते कि ये घर की बेटी है एक ही तो बेटी है हम मिलकर इसकी शादी धूमधाम से करेंगे ।ममता को भी लगता चलो मुझसे नहीं मेरी बेटी का तो ख्याल है, ममता तो प्रराईवेट स्कूल में लगा थी मुश्किल से घर में खाने का काम पूरा होते था। राज तो आराम से उठ कर कहीं चक्कर मारने निकल जाता, उसे न तो घर की जिम्मेदारी थी न ही बच्चौं के भविष्य की चिंता इसी बात पर बेटी पापा से झगड़ा भी करती कि पापा कम से कम ममी का साथ तो दो, उनसे आप गुस्से से पेश आते हो। ममता को पता ही नहीं चला कब घर की जिम्मेदारी उठते बेटी इतने बड़ी हो गई कि मेम क इतनी फिक्र करने लगा थी। अपना पढ़ाई खत्म कर के जल्दी से छोटी सी नौकरी कर ली कि घर का खर्च चल सके, राज को शराब की लत लगा गई थी माँ ने भी डांटा पर कोई असर नहीं था। ममता का धैर्य अब जवाब दे रहा था , राज पीकर ममता और बच्चौं को उल्टी सीधी बातें कहता और पेस मांगता शराब पीने के लिए बाहर शौर न जाए इसलिए ममता चुप रहती पर राज की ज्यादती बड़ती जा रही थी। सासू माँ को ममता से कोई हमदर्दी नहीं थी अगर वो कोई बात कहने भी लगती तो वो यही कहती मैं क्या कर सकता हूँ तुम्हारी यही आदत है। फिर एक दिन ममता ने बच्चौं को लिया और मायके आकर रहने लगी, इसी बीच बेटी के लिए एक बहुत अच्छा रिशता आया , ममता ने ससुराल में सबको सुनाया। ममता ससुराल आती जाति थी पर कोई इतनी अच्छे से बात तो नहीं करता था फिर भी उसने सब के साथ बातचीत रखी थी। पति की गली आदतों और रवैये की वजह से वो अब मायके रहने लगी थी। पर ससुराल वालों ने कोई रुख नहीं रखा जिस रिशतेदार ने सुना सबने कहा बहुत बधाई फिक्र मत करो सब ठीक से हो जाएगा। अब तो जेठ और देवर ये कहने लगे थे कि हम क्या करे वो हमारे भाई के साथ नहीं रही , हम क्या लेना देना बेटी की शादी से। सासुमाँ का भी यही जवाब था कि हमें तो पता भी नहीं है कि शादी पक्की हो गई है। ममता को बेटी ने नई रोशनी दिखाई औरकहा ममी लड़के वाले सब जानते हैं आप पहले भी तो सारी जिम्मेदारी खुद ही उठाए थीं किसी ने साथ नहीं दिया , जब पापा नहीं साथ देते तो और किसी से क्या उम्मीद । ममता ने भी भाई और ममी के साथ मिलकर शादी की तैयारी शुरु कर दी थी और सब भगवान पर छोड़ दिया था। शादी में कुछ ही समय रह गया था पर न ही ससुराल वालों ने न ही राज ने कोई ध्यान दिया। पर धीरे धीरे ताई सास और बाकि ससुराल के रिशतेदारों ने ममता के मायके जाकर अपना सहयोग देना शुरु कर दिया था, सास को शर्मिदंगी तो हो रही थी पर अब क्या करती । लड़केवालों की कोई डिमांड नहीं थी वो सदा विवाह ही चाहते थे, पर ममता चाहती थी कि बेटी को न लगे कि मेरे साथ क्या हुआ । बेटी की शादी अच्छे से हो गई थी, ममता भविष्य तो नहीं जानती थी पर वर्तमान उसने सही कर दिया था। वो नहीं जानता थी कि वो सही है या गल्त पर उसने हालात से निभना सीख लिया था।