अकेला हो गया हूँ…
मैं ग़मों की भीड़ में खो गया हूँ
मैं अब एक गुमशुदा हो गया हूँ
ढूंढते रहें जमाने वाले मुझे
मैं तो दर्द का प्याला हो गया हूँ
अब आता रहे कोई भी मौसम
मैं पतझड़ का निवाला हो गया हूँ
साथ में मेरे ग़मों का मंजर है
मैं अब बुझती ज्वाला हो गया हूँ
आ जाओ प्रिय तुम पास मेरे
मैं ग़मों का रखवाला हो गया हूँ
खोकर भीड़ में, भी दिख रहा हूँ
मैं ग़मों में भी अकेला हो गया हूँ