कविता

परिवर्तन

उपदेशों से भरा कटोरा वे छलकाते।
जोर जोर से शोर मचाकर लुत्फ उठाते।
ना खुद ही वे चखे और ना लेने वाले-
जो बातों में फँसा उसे सब स्वाद चखाते।।

काश स्वयं भी चखने का साहस वे करते।
उस नपने पर एक बार भी खुद को रखते।
निश्चय वह उपदेश बहुत फलदाई होता-
गर सच्चे दिल से आगे खुद भी वे चलते।।

किन्तु नहीं उनकी मंशा परिवर्तन की है।
छद्म वेश में सही – गलग के घर्षण की है।
दोष किसी के सिर मढ़ने की है तलाश बस-
अति सक्रिय होकर पल भर बस नर्तन की है।।

परिवर्तन के हेतु स्वांग नहिं,सीख जरूरी।
सहभागी उद्यम से मिटती दिल की दूरी।
दिल सच्चा हो और सत्य हो अगर इरादा-
परिवर्तन की हर आशा हो जाती पूरी।।

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन