कविता

श्रम

कब तक पूर्वज के श्रम सीकर पर यूँ मौज मनाओगे।
आज बीज श्रम का रोपोगे तब कल फल को पाओगे।
पूर्वज की थाती पर माना पार लगा लोगे खुद को-
लेकिन अगली पीढ़ी को बद से बदतर कर जाओगे।।

इसीलिए उठ नींद त्यागकर सूरज का दीदार करो।
श्रम सीकर की कीमत समझो और कर्म स्वीकार करो।
जो पाया उतना देना तो फर्ज तुम्हारा बनता है-
कर्म राह का अनुयायी बन कर्मभूमि से प्यार करो।।

श्रम सीकर के सरिस खजाना नहीं दूसरा इस जग में।
मरुथल में पानी भर देता राह बनाता है नग में।
इसकी महिमा वही जानता जो इसको उपजाता है-
इससे काया उन्नत होती वांछित फल आता पग में।।

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन