कविता
कविता ही लिखता हूं
कभी नही थकता हूं,
जिदंगी की कोई किताब नही
वक्त की कोई हिसाब
नही
बस कलम कल्पना के
साये में जी रही है
बस ढेर सारी दर्द की
आंसू पी रहे है,
कभी उदास रहता हूं
सोचकर उम्मीद के
उपर जी रहे है,
— अभिषेक राज शर्मा पिलकिछा जौनपुर उप्र०