गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – क्या से क्या ख्वाब कर गए

देखिये हिम्मत क्या से क्या ख्वाब कर गए।
एक मामूली पँछी के पर सुर्खाब कर गए।।

एक लंबी उम्र काटने के बाद ही सही,
कुछ लम्हे आए ज़िन्दगी की बात कर गए।

कुछ पल के ही लिए भले हम न रहे थे हम,
न जाने किस तरह से तुम्हे याद कर गए।

लगने लगा था बात खत्म हो गयी लेकिन,
फिर वो ज़िक्र मेरा हाय मेरे बाद कर गए।

तूफ़ान तो आए हैं ज़िन्दगी में खूब पर,
हर बार राह और ज्यादा साफ़ कर गए।

इनका वजूद है भरम घबराएं क्यों ‘लहर’,
गर बादलों के साए दिन को रात कर गए।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा