ज़िन्दगी तुझसा कोई प्यारा नहीं लगता
जितनी तू है उतना कोई हमारा नहीं लगता।
सच है ज़िन्दगी तुझसा कोई प्यारा नहीं लगता।।
देखे हैं बहुत दर्द के मंज़र मगर फिर भी,
तुझे छोडूं सोचना भी गवारा नहीं लगता।
शिकवे खोने के पाने के जो दिन रात करते हैं,
तुझे दिल से कभी उन्होंने सँवारा नहीं लगता।
जो मुट्ठी से फिसल के बीता हुआ वक्त बन गए,
वापिस मिल सके वो पल दोबारा नहीं लगता।
दुनिया से तेरे वास्ते लड़ने लगा जब से,
अपना ही अक्स मुझको बेचारा नहीं लगता।
बिना तेरे हर एक मंज़र मुझे मझधार है ‘लहर’,
तू साथ दे अगर तो दूर किनारा नहीं लगता।