ग़ज़ल
सैनिकों ने ही मिटाया, दाग दामन में नहीं
वो गुलामी का चिन्ह भी आज गुलसन में नहीं |
हिन्द की स्वाधीनता सैनिक इनायत मिली
उनके’ जो बलिदान, नेताओं के’ चिंतन में नहीं |
त्याग की जितनी कहानी, उस गुलामी में पढ़ी
आज वो तासीर नेताओं के’ जीवन में नहीं |
सार्थ में है लिप्त सब,निस्वार्थ नेता है विरल
त्याग है दुर्लभ यहाँ, अभिमान भी मन में नहीं |
वीर योद्ध्या की सहादत, देश की है आबरू
भावना ऐसी अभी इस देश आँगन में नहीं |
कौन है जिम्मेदार वीरों के हुए अपमान का ?
जो हमारे वीर हैं वैसे तो’ भुवन में नहीं |
पीठ के पीछे किया है वार कायर शत्रु सब
चाहिए ‘काली’ जो न्यारे शौर्य, दुश्मन में नहीं |
कालीपद ‘प्रसाद’