लघुकथा – आज के ध्रुव
बचपन में बालक ध्रुव की पौराणिक गाथा सुनी थी, जो बहुत प्रेरक लगी थी. तपस्या करते हुए बालक ध्रुव को अनेक प्रकार की समस्याएं आईं परन्तु वह अपने संकल्प पर अडिग रहे, तनिक भी विचलित नहीं हुए. आज के ध्रुव की गाथा भी कुछ-कुछ इसी प्रकार की है. आज के ध्रुव हैं इटवा के एसडीएम ध्रुव कुमार.
इटवा के एसडीएम का पदभार संभालते ही ध्रुव कुमार इस कोशिश में लगे रहे, कि देह व्यापार के लिए मुंबई तक बदनाम सिद्धार्थनगर जनपद के बिस्कोहर गांव की गणिकाएं (सेक्स वर्कर्स) इस काम को छोड़ने का संकल्प लें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें. बहुत-से लोग उनको इस संकल्प से डिगाने के लिए कहते रहे-
”बिस्कोहर गांव अंग्रेजों के जमाने से ही देह व्यापार के लिए चर्चित है. एक तरह से यहां की प्रथा है कि लड़की पैदा हुई तो वह देह व्यापार में ही उतरेगी. शादी होने के बाद भी ये महिलाएं इस व्यापार में लिप्त रहती हैं. ऐसे में भला आप इनसे यह काम कैसे छुड़वा सकेंगे?”
”मेरे प्यारे साथियो, ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. फिर अगर एक भी सेक्स वर्कर यह काम छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाए, तो मैं अपने प्रयास को सफल समझूंगा. मैं लक्ष्य प्राप्त होने तक लगातार काउंसलिंग करता रहूंगा और उनको समझाता रहूंगा.”
उनकी लगातार काउंसलिंग रंग लाई. अभी हाल ही में 20 गणिकाएं परिवार संग सार्वजनिक तौर पर जुटीं और वहीं पर शपथ ली कि वे अब इस व्यापार से तौबा करती हैं.
”हम गरीबी में जी लेंगे, लेकिन देह व्यापार में नहीं कूदेंगे.” इन गणिकाओं ने ऐलान किया. इस गांव में करीब 20 गणिकाएं हैं.
उनके शपथ लेते ही एसडीएम ने इस टोले को गोद लेने और राशन और शिक्षा दिलाने के साथ-साथ परिवार में करीब 12 लड़कियों की शादी अपनी तनख्वाह से कराने का ऐलान कर दिया. एसडीएम ने इस कार्यक्रम में इलाके के लोगों को भी बुला लिया था. सबने इन गणिकाओं की मदद करने और मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया है.
”मेरा सौभाग्य है कि अरसे से चले आ रहे इस कलंक को खत्म कराने में मैं कामयाब हुआ.” आज के ध्रुव का कहना है.
पौराणिक ध्रुव की तरह आज के ध्रुव भी सबकी नजर के सितारे बन गए हैं.
इटवा के एसडीएम ध्रुव कुमार का सेक्स वर्कर्स से देह व्यापार छुड़वाने का अटल संकल्प लेना, गणिकाओं द्वारा ऐलान कर देह व्यापार से तौबा करना, एसडीएम ध्रुव कुमार का उन्हें राशन और शिक्षा दिलाने के साथ-साथ परिवार में करीब 12 लड़कियों की शादी अपनी तनख्वाह से कराने, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प ही उन्हें आज का ध्रुव बनाता है.