ग़ज़ल – अच्छे को गहना सीखो
हरदम मत चुप रहना सीखो.
वक़्त-ज़रूरत कहना सीखो.
धारा का आनन्द मिलेगा,
पर उसके सँग बहना सीखो.
कैसे भी कपड़े पहनो पर,
कैसे जाता पहना, सीखो.
मन में जन्म घुटन को दे दे,
इतना भी मत सहना सीखो.
यादों के कपड़े बिखरे हैं,
इनको ढँग से तहना सीखो.
अच्छा और बुरा सब समझो,
फिर अच्छे को गहना सीखो.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9415474674