गीत/नवगीत

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है
कर दे मेरी बोटी बोटी फिर भी उससे प्यार है
क्या मतलब ना पूछे हमको जब सत्ता में होता है
सत्ता ही तो रोजी उसकी सत्ता ही व्यापार है

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है

धर्म जाति का झण्डा लेकर वो संसद तक जाता है
हम ही सबसे दबे है कुचले हल्ला खूब मचाता है
बात करो ना तुम विकास की मोदी जी वो ही देंगंे
मेरे नेता के बच्चे हैं ढेरों रिश्तेदार हैं

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है

छोटा मोटा काम पड़े तो उनसे मिलने जाते हैं
हरदम रहते व्यस्त बहुत ही घंटों वेट कराते हैं
पहले आते तो हो जाता काम तुम्हारा जो भी था
अब तो है सरकारी छुट्टी फिर आना इतवार है

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है

जब चुनाव की बारी आती हमसे मिलने आते हैं
लम्बी वाली गाड़ी लेकर पूरी पलटन लाते हैं
हमतुम दोनो एक बिरादर तेरी जाति का नेता हूँ
बाक़ी सब तो भ्रष्टाचारी चोरो का सरदार है

मेरी जाति का नेता हो तो उसको ये अधिकार है
कर दे मेरी बोटी बोटी फिर भी उससे प्यार है

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,