गीत/नवगीत

गीत – हम रोते हैं

दान मतों के अपने करके ।
हम रोते हैं।
मन में जो विश्वास बचा था,
उसको भी हम खो देते हैं।

घर पर आकर वादे करते।
चरणों में तुम सजदे करते।
आशाओं के मोती यूँ ही।
मन में अपने हमी पिरोते हैं।
दान मतों के अपने करके
हम रोते हैं।

पटे हुए हैं,पेज,
घोषणा पत्रों के संकल्पों से।
जीवन के संकल्प यहाँ पर।
हम खोते हैं।
दान मतों के अपने करके।
हम रोते हैं।।

एक पेज पर लिखा हुआ है।
बिजली मुफ्त, मिलेगी।
हमने सोचा आंगन में।
उजियारी रात खिलेगी।
वादों के झूठे बीजों को ।
तुम बोते हो।
दान मतों के अपने करके ।
हम रोते हैं।

एक पेज पर लिखा हुआ है।
रोजगार सबको देंगे।
सबके साथ विकास सभी का।
आकर कर हम कर देंगे।
रोजगार न मिला अरे!
खाली जेब अब हम।
अपनी टटोलते हैं।
दान मतों के अपने करके ।
हम रोते हैं।।।।

एक पेज पर लिखा हुआ है।
खाद,बीज सब मुफ्त मिलेंगे।
मगर पुराने बीज,उठा कर।
अपने घर से हम बोते हैं।
दान मतों के अपने करके।
हम रोते हैं।

एक पेज पर लिखा हुआ।
विद्याधन,वृद्धा पेंशन देंगे।
बदले में हम वोट तुम्हारा ।
केवल लेंगे।
सर्द हवा में लिए बुढ़ापा।
हम फिरते हैं।
दान मतों के अपने करके।
हम रोते हैं।

— लाल चन्द्र यादव

लाल चन्द्र यादव

ग्राम शाहपुर, पोस्ट मठिया, जि. अम्बेडकर नगर उ.प्र. 224149 शिक्षा एम.ए. हिन्दी, बी.एड. व्यवसाय शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद, जिला-बरेली