नज्में लिखना गाया करना
तल तक कविवर जाया करना ढूंढ के मोती लाया करना
नज्में लिखना गाया करना जग को सच समझाया करना
इतिहास की निर्मम भूलों पर विकृतियों के तीक्ष्ण शूलों पर
हिलती समय की चूलों पर लू झुलसाए फूलों पर
कविवर आँखें मूँद न लेना अपनी दृष्टि दौड़ाया करना
नज्में…
दंगों और फसादों पर पसर रहे अवसादों पर
सियासत के झूठे वादों पर मुंसिफ और प्यादों पर
सब कुछ लिखना देखा भोगा अपना फ़र्ज निफाया करना
नज्में…
अनसुलझे संवादों पर सत्ता के लगे स्वादों पर
वादों और विवादों पर रूढ़िवादी लबादों पर
गूढ़ विवेचन करना प्यारे अपनी कलम चलाया करना
नज्में…
भटकाते अंधेरों पर मलिन स्वार्थ के ढेरों पर
मृगतृष्णा के फेरों पर ऊबे हुए सवेरों पर
कैसे पार पाओगे प्यारे अपनी राय बताया करना
नज्में…
दुराचारों व्यभिचारों पर राह भटकाते नारों पर
जात धर्म के खारों पर सिसक रहे उजियारों पर
कोई जागे या न जागे तुम आवाज लगाया करना
नज्में…
आस्तीं के साँपों पर सत्ता के माई बापों पर
कण कण व्याप्त पापों पर जग के सकल संतापों पर
नई जमीनें तोड़ा करना शब्द – सुमन उगाया करना
नज्में…
लुटे हुए जज्बातों पर अपनों के भीतरघातों पर
अंधियारी काली रातों पर तेजाबी बरसातों पर
घबराकर तुम भाग न जाना कोई हल सुझाया करना
नज्में…
किसनेकिसने चांदी कूटा कितना पाया कितना छूटा
वेश बदलकर किसने लूटा कितना जोड़ा कितना टूटा
तेरे जिम्में है ये सब कविवर सारा गणित लगाया करना
नज्में…