ठक-ठक, ठक-ठक-5
ठक-ठक, ठक-ठक-1
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 8 साल की गुरुगा हिमा प्रिया.”
”आपकी ख़ासियत?”
”मैं अपने मुंहं मियां मिट्ठू कैसे बनूं?
”तो फिर कौन बताएगा?”
”यह तो स्वयं भारत सरकार बताएगी, जिसने मेरा भारत अवॉर्ड के लिए चयन किया है.”
”क्या किया था तुमने?”
”मैंने तो बस वही किया, जो एक अच्छे इंसान और भारत-नागरिक को करना चाहिए.”
”फिर भी?”
”10 फरवरी 2018 को हथियारबंद आतंकियों ने जम्मू के सुंजवन सैन्य कैंप में हमला बोला था. इसमें 20 भारतीयों की मौत हुई थी जबकि 20 घायल हुए थे. उस वक्त मैं अपनी मां के साथ घर पर सो रही थी. हमला होने के बाद हमने खुद को घर के अंदर बंद कर लिया. आतंकियों ने हमारे आंगन में एक ग्रेनेड फेंका जिसमें मैं घायल हो गई, लेकिन मैंने आतंकियों को लंबे समय तक बातचीत में मशगूल रखा और आतंकियों से खुद को अपनी मां और दो छोटी बहनों को बचाने में सफल रही. उस वक्त मेरे पिता घर पर नहीं थे जो पेशे से हवलदार हैं.”
”नन्ही-सी प्यारी-सी गुरुगा हिमा प्रिया, हमें आप पर बहुत गर्व है.”
ठक-ठक, ठक-ठक-2
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 13 साल का सौम्यदीप जाना. मुझे भी भारत सरकार द्वारा भारत अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.”
”इस बार 26 जनवरी पर आपको भी सम्मानित किया जाएगा?”
”ऐसा ही समझ लीजिए, वैसे मेरा काम ही मेरे लिए सम्मान है.”
”हमें जरा उसके बारे में बताइए.”
”सुंजवन आर्मी स्टेशन में आतंकी हमले के दौरान मैंने अपनी मां और बहन को एक कमरे में बंद कर दिया और बाहर से ताला लगा दिया. आतंकियों ने घर का मुख्य दरवाजा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन मैंने स्टील के बक्से से बैरिकेडिंग कर दी. बौखलाए आतंकियों ने एक ग्रेनेड फेंककर एके 56 राइफल से फायरिंग कर दी. इस वजह से मैं घायल हो गया और तीन महीने तक कोमा में रहा. मेरा बायां हिस्सा पैरालाइज्ड है. घटना के चलते मेरे देखने और सुनने की शक्ति भी क्षीण हो गई, लेकिन मेरे चेहरे की मुस्कान कहती है- ‘मुझे मेरे परिवार के लिए यह करना था. मैं उन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकता था’.”
”नन्हे-से प्यारे-से सौम्यदीप, हमें आप पर बहुत गर्व है.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 15 साल की नितिषा नेगी, मुझे (मरणोपरांत) भारत सरकार ने गीता चोपड़ा अवॉर्ड के लिए चयनित किया है.”
”नितिषा, हमें बहुत अफसोस है, कि तुम्हें गीता चोपड़ा अवॉर्ड मिल रहा है, लेकिन मरणोपरांत और इस अवॉर्ड को लेने के लिए जिंदा नहीं हो.”
”अफसोस नहीं, गर्व कहिए. जीते जी तो अनेक लोग पुस्कार लेते हैं, लेकिन मरने के बाद भी मुझे याद किया जाए, इससे अधिक गर्व की बात और क्या हो सकती है!”
”कृपया अपनी आपबीती सुनाइए.”
”अंडर 17 फुटबॉल टीम की सदस्य के रूप में मैं पसिफिक स्कूल गेम्स के लिए ऑस्ट्रेलिया गई थीं. जहां 10 दिसंबर 2017 को एक बीच में टूर्नामेंट के बाद सागर की बड़ी लहर कुछ लोगों को बहा ले गई. मैंने अपनी दोस्त को पानी में फंसा हुआ देखा. यह देखकर मैं पानी में कूद गई और अपनी दोस्त को बचाने में सफल रही, लेकिन मैं खुद पानी में बह गई और मेरी मौत हो गई.”
”नितिषा, तुम अमर हो गईं.”
ठक-ठक, ठक-ठक-4
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 6 साल का गोहिल जयराज सिंह. मुझे संजय चोपड़ा अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.”
”क्या हम आपकी वीरता के बारे में जान सकते हैं?”
”जरूर. गुजरात रहने वाला मैं अपने दोस्त को मौत के मुंह से खींच लाने में कामयाब रहा. उस वक्त मैंअपने दोस्त के साथ खेल रहा था, कि एक तेंदुए ने मेरे दोस्त पर हमला कर दिया. अपने दोस्त को खतरे में देखकर मैंने पत्थर उठाया और तेंदुए पर फेंक दिया लेकिन तेंदुए ने पकड़ नहीं छोड़ी. इसके बाद मैंने अपनी खिलौना कार तेदुंए की तरफ फेंकी जिसकी आवाज सुनकर तेंदुए भाग गया.”
”यह तो आपने कमाल कर दिया! खिलौना कार से तेदुंए को भगा दिया?”
”उस समय मेरे पास खिलौना कार ही थी, शुक्र है कि मेरा दोस्त बच गया.”
”प्यारे-से गोहिल, आप धन्य हो.”
ठक-ठक, ठक-ठक-5
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 6 साल की अनिका जैमिनी. मुझे भारत सरकार द्वारा बापू गैधानी अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.”
”वाउ 6 साल में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है!”
”न ही वीरता के लिए किसी ख़ास उम्र की जरूरत होती है,”
”कृपया अपने बारे में कुछ बताइए.”
”मैं राजस्थान की रहने वाली हूं. मैंने जान की बाजी खेलकर किडनैपर्स से खुद को बचा लिया. उस वक्त मैं अपने घर के पास में थी, जबकि कुछ किडनैपर्स ने मुझ पर चाकू से हमला कर दिया, लेकिन फिर भी मैं खुद को बचाने में कामयाब रही.”
”हमें आपकी इस अनूठी कामयाबी पर गर्व है.”
”और कुछ?”
”हिमाचल प्रदेश की दो दोस्त मुस्कान और सीमा के साथ मेघालय की बहादुर बच्ची कैमिलिया को भी भारत सरकार द्वारा बापू गैधानी अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.’
ठक-ठक, ठक-ठक-
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं 12 साल की कैमिलिया कैथी. मुझे इस साल भारत सरकार द्वारा बापू गैधानी अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.”
”आपकी वीरता का और परिचय?”
””मैंने बहादुरी दिखाते हुए मानसिक रूप से अस्वस्थ बड़े भाई की जान बचाई थी. 6 जुलाई 2017 को जब मैं अपने घर आई तो देखा कि घर में आग लगी हुई है. मेरी चाची चीखते हुए घर से बाहर आई. इससे पहले हम कुछ समझ पाते मेरा भाई अंदर चला गया. मैंने उसे बाहर बुलाया लेकिन वहां कई लोग चीख रहे थे इसलिए वह सुन नहीं पाया। मैं उसके पीछे अंदर भागी और उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया। आग के चलते मेरा पूरा घर ध्वस्त हो गया.”