गज़ल
आज रिश्ता बनी निकटता है बहुत
आपसी मिल रहें घनिष्टता है बहुत.
दिल कहीं भी असल चैन पाता नहीं
साथ तेरा सदा मन लुभाता है बहुत.
बिन तेरे बीतते पल जुदाई में अब
जान जीवन बना बिफलता है बहुत.
दर्द दिल का सुनाया नहीं ये लगा
पास होनाकठिन दिकतता है बहुत.
देख अपना बनाना कहर सा हुआ
लत दिखी इश्क की दुष्टता है बहुत
–रेखा मोहन