ऋतु बसंत आने को है
देखो मन झूमे, ऋतु बसंत आने को है
आमों पे बौर, खेतों में सरसों छाने को है
मन झूमे तरंगिनी गाए
फूलों-कलियों सा खिल जाए
आलस त्याग, नवल स्फूर्ति पाने को है
देखो मन झूमे, ऋतु बसंत आने को है
फूलों बिन भौंरे डरे हुए
थे पेड़ पात सब झरे हुए
अब भौंरों के गुंजन भरा हो जाने को है
देखो मन झूमे ऋतु बसंत आने को है
हवा में गमक सुनहरा आकाश
लाया पिया मिलन की आस
पतझड़ भी मधुमास बना जाने को है
देखो मन झूमे ऋतु बसंत आने को है
प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’