तुम्हीं तुम बसे मेरे मन में हो तुम ही प्रतिपल जीवन में हो मैंने ढूंढा जिसे सदियों यहाँ वो तुम्हीं मेरे हर क्षण में हो बढ़ती तुम्हारी हूँ राह चुन मेरी सब डगर के पगन में हो सप्तपदी की जो स्मारिका तुम जन्मों के सुमिरन में हो तुम्हीं साँसों में समाए हो मेरी धड़कती धड़कन […]
Author: प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'
कब आओगे
वो मानव क्या जिसमें ना हो कोई करुणा जो प्रेम रहित हो जिसमें केवल बसी घृणा एक सदी से रहे पिपासु जल ना पाया अब झरने मिले तो नहीं रही कोई मन में तृष्णा भाग दिए जो जीवन में सम्बन्ध कमाए कोई कैसे बंटवारे को फिर से करे गुणा बाट निहारूँ मीरा बन मैं प्रेम […]
वो शिव है
वो शिव है वो सत्य वो ही पालनहार देवाधिदेव महादेव वो जगत आधार भस्म अंग, गल भुजंग वो नंदी सवार जटाजूट वक्र भृकुटि बाघम्बर धार उपासना-आराधना बिल्वपत्र जलधार पूजन-वन्दन-स्तुति, वो वार-त्योहार प्रति वेदना-सम्वेदना त्रिनेत्रम् उद्धार हर सूक्ष्म-शून्य, अणु-परमाणु-संसार मुण्डमाल चन्द्रभाल दानव दैत्य संहार महामृत्युंजय, रोग-दोष-मृत्यु प्रतिकार वो भक्ति वो शक्ति सती पार्वती श्रृंगार हस्त डमरू […]
ये औरतें भी ना
ख़ुद रूठती, मान भी ख़ुद जाती हैं आँखों से झरते टेसू, ख़ुद पोंछती हैं सचमुच देखो बड़ा ड्रामा करती हैं ये औरतें भी ना ख़ूबसूरत दिखना भी चाहती हैं ख़ुद को ज़रा संवारती भी नहीं चाहती हैं जी भर खिलखिलाना पर खुल कर मुस्कुराती भी नहीं सचमुच देखो बड़ा ड्रामा करती हैं ये औरतें भी […]
ग़ज़ल
इस वृहद संसार में छोटा सा एक संसार हो सुंदर कल्पना सा जिसमें समाहित प्यार हो बस एक ही अरज तुमसे है प्रियवर सुनो न प्रेम से परिपूर्ण अपना यह जगत असार हो आठों याम बावरा ये मन चाहे भला क्या! तुम हो, तुम्हारा साथ हो, कोई न रार हो स्वर्णिम किरणों से यामिनी की […]
फ़िक्रों में बेफ़िक्री
सुनो ये जो ज़िन्दगी जी रहे हो तुम क़दम क़दम पे आँसू पी रहे हो तुम सजाकर के यादों के पैरहन में रफ़ू ज़हन की सारी तहें सी रहे हो तुम ख़ुदा बनने की चाह लिए हो लेकिन बोलो तो कभी इंसान भी रहे हो तुम? दुनिया ये बदलना कहाँ मुश्किल है ख़ुद में कितनी […]
ग़ज़ल
झील में खिले कंवल सी लगे वो लड़की ताजमहल सी लगे जिस पल में मोहब्बत हो जाए वो मुझ को उसी पल सी लगे उसके गेसू की ख़ुशबू भी महकते हुए सन्दल सी लगे यादों में हम खो जाते हैं याद उसकी जलथल सी लगे लबों पे उसको सजाया यूँ “गीत” वो मेरी ग़ज़ल सी […]
तुम्हीं तुम
तुम्हीं तुम बसे मेरे मन में हो तुम ही प्रतिपल जीवन में हो मैंने ढूंढा जिसे सदियों यहाँ वो तुम्हीं मेरे हर क्षण में हो बढ़ती तुम्हारी हूँ राह चुन मेरी सब डगर के पगन में हो सप्तपदी की जो स्मारिका तुम जन्मों के सुमिरन में हो तुम्हीं साँसों में समाए हो मेरी धड़कती धड़कन […]
अवध में राम पधारे
अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ चौदह बरसों का वन गमन पूरन कर लौटे सब तिथि बीतीं अमावस सम जान सखी बस यही अमावस लागे जैसे पूर्णिमा अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ मात-पिता का वचन निभाया एक क्षण में भ्रात भरत को […]
सम्पूर्णता भरी हिंदी
मुझमें कोई भेद नहीं छोटे और बड़े का ना ही कहीं रहे आधा कोई वर्ण अकेला मैं हूँ माँ भारती के मस्तक की सुंदर बिंदी गर्व करो मुझपर मैं हूँ सम्पूर्णता भरी हिंदी कुछ भी मुझमें है नहीं अधूरा हर अक्षर अक्षर मिलकर पूरा हर वर्ण का स्वर बोला जाता नहीं मूक कोई स्वरबन्दी गर्व करो […]