राज़ कोई गहरा
धूप में रहे हम और चले सहरा सहरा ढूंढा किये सब में आप ही का चेहरा सारे जहां में घूमे
Read Moreधूप में रहे हम और चले सहरा सहरा ढूंढा किये सब में आप ही का चेहरा सारे जहां में घूमे
Read Moreतुम्हीं तुम बसे मेरे मन में हो तुम ही प्रतिपल जीवन में हो मैंने ढूंढा जिसे सदियों यहाँ वो तुम्हीं
Read Moreख़ुद रूठती, मान भी ख़ुद जाती हैं आँखों से झरते टेसू, ख़ुद पोंछती हैं सचमुच देखो बड़ा ड्रामा करती हैं
Read Moreसुनो ये जो ज़िन्दगी जी रहे हो तुम क़दम क़दम पे आँसू पी रहे हो तुम सजाकर के यादों के
Read Moreतुम्हीं तुम बसे मेरे मन में हो तुम ही प्रतिपल जीवन में हो मैंने ढूंढा जिसे सदियों यहाँ वो तुम्हीं
Read Moreअवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ चौदह बरसों का वन
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