गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – छलकता पैमाना

उनकी आंखो में छलकता हुआ पैमाना है
बाख़ुदा दिल भी उसी मय का तो दीवाना है

यूं तो रहते हैं वो ख़ामोश झुकी नज़रों से
अदाएं शोख़ का अंदाज़ कातिलाना है

खुलेंगे होंठ ताे अंज़ाम जाने क्या होगा
बंद कलियों का ये आगाज़ आशिकाना है

ख़िले हुये ये माहताब से हसीं रुख़ पे
घटाओं जैसे गेसूओं का शामियाना है

दिल के अख़लाक से भरा ये सरापा रौशन
उनके तो इश्क की बातें भी सूफ़ियाना है

दिल के ऐवान में रौशन सभी चराग़ हुये
रुह के वस्ल का क्या खूब आशियाना है

पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है