ग़ज़ल
वह मेरे साथ है ….पर गैरो के मुक़ाबिल है ..
मेरा महबूब भी दुश्मनों की तरह काबिल है ।
जान बूझ कर सताया करता है मुझको
फिर कहता है, मेरे हाल से नही गाफ़िल है ।
उसका दिल दिल है, मेरा दिल खिलौना है
सनम भी देखो ज़रा ऐसा मेरा संग दिल है ।
हवा बड़ा जोर है, पुरजोर है, कठोर भी है
सांस देता है दुनिया को और मेरा कातिल है ।
समेट लिये है अपने पंख परवाज़ से पहले कि
इन पाबंद हवाओं में उड़ान बहुत मुश्किल है ।
सामने प्यास है , साहिल है और समंदर भी
मगर तकदीर .. कुछ भी ना मुझको हासिल है ।।