मेरा वतन
मेरा वतन
वतन हिन्द मेरा मेरी जान है |
यही शान अपनी यही मान है |
अमन का पुजारी अमन चाहता –
अमन हो जहाँ में ये अरमान है |
तिरंगा हमारा झुकेगा नहीं –
मेरे देश की यह ही पहचान है|
है मिट्टी यहाँ की तिलक भाल का –
यही आत्म गौरव ये सम्मान है |
विविध जाति धर्मों के खिलते सुमन –
ये वो बाग जिसकी अजब शान है |
ये हिन्दू मुसलमां ये सिख पारसी –
ये हिन्दोसतां की ही संतान हैं |
जो इस सच को झुठला करे नीचता –
कृतघ्नी हैं वो कितना हैवान है |
मिटा शत्रु को आन रखना सदा –
वतन के लिए जान कुर्बान है |
‘मृदुल’ भावना शक्ति की साधना –
यही मान सम्मान अभिमान है |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल ‘
लखनऊ ,उत्तरप्रदेश