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ठक-ठक, ठक-ठक-1
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”हम हैं न्यू जीलैंड के खिलाफ खेलकर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने वाले टीम इंडिया के खिलाड़ी.”
”आजकल आपके खेल के चर्चे हैं हर तरफ.”
”जी, प्यार के लिए शुक्रिया.”
”प्यार भी और गर्व भी.”
”हम अपने रेकॉर्ड्स के लिए खुद हैरान हैं.”
”कौन-कौन से रेकॉर्ड्स?”
”न्यू जीलैंड को 90 रनों से हराकर सबसे बड़ी कमाल की जीत, हमारे पहले विकेट के लिए 154 रन जोड़ने वाले धवन-रोहित की लाजवाब जोड़ी, हमारी फिरकी कुलदीप यादव (न्यू जीलैंड में लगातार दो मैचों में 4 विकेट लेनेवाले पहले स्पिन गेंदबाज बन गए हैं), 87 रनों की पारी खेलने वाले भारतीय ओपनर रोहित शर्मा और मैच में 43 रनों की पारी खेलने वाले कप्तान विराट कोहली.”
”तभी तो भारत की जीत पर न्यू जीलैंड पुलिस ने मजेदार चुटकी ली है और यह पोस्ट वायरल हो गई है.”
”जी, आप ठीक कह रहे हैं- ऑस्ट्रेलिया के बाद न्यू जीलैंड दौरे पर भी शानदार प्रदर्शन कर रही भारतीय क्रिकेट टीम की फैन अब वहां की पुलिस भी हो गई है. इसका सबूत देता एक मजाकिया पोस्ट न्यू जीलैंड पुलिस ने किया है जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. पोस्ट में न्यू जीलैंड पुलिस ने भारत के शानदार प्रदर्शन की तारीफ करते हुए अपने ही देश की टीम की चुटकी ली है. पुलिस का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.”
”आपको सीरीज जीतने और फिर वर्ल्ड कप में जीत के लिए शुभकामनाएं.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं मध्य प्रदेश के सिंगरौली का रहने वाला दो साल का मासूम.”
”अच्छा-अच्छा मासूम जी, शुक्र है कि आप बच गए, अन्यथा 70 फीट गहरे बोरवेल से सुरक्षित निकलना नामुमकिन तो नहीं मुश्किल जरूर है.आपके सुरक्षित निकलने से परिजन और गांववालों के साथ हमारे चेहरे पर भी मुस्कान आ गई है. आसपास के गांवों से उमड़ी भीड़ ने भी सुकून की सांस ली है.”
”जिले के आलाधिकारियों ने बचाव कार्य पर लगातार अपनी निगरानी बनाए रखी. इस दौरान घटनास्थल पर आसपास के गांवों से भारी भीड़ जुट गई. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई, वहीं. गांववाले बच्चे के सुरक्षित बाहर निकलने के लिए लगातार दुआएं कर रहे थे.”
”रेस्क्यू अभियान के सफल होने पर परिजनों ने बचाव अभियान में शामिल टीम को शुक्रिया अदा किया है. हमारी तरफ से भी शुक्रिया और शुभकामनाएं.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं वेदांता समूह का मालिक अनिल अग्रवाल.”
”अच्छा-अच्छा, आजकल आपके ग्रुप का नेतृत्व के चर्चे तो जोरों पर हैं.”
”तो आपने भी सुन लिया?”
”जी, आपने बहुत अच्छी बात कही है. आपने संकेत दिया है कि उनके बाद इस समूह का नेतृत्व उनके बेटे अग्निवेश या प्रिया के हाथ में जाय यह जरूरी नहीं है क्योंकि समूह ‘इतना बड़ा हो चुका है’ कि वर्तमान नेतृत्व के उत्तराधिकारी का चयन परिवार के अंदर के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता.”
”जी, मेरे विचार से यही सही होगा.”
”हमारी सांस्कृतिक परंपरा भी यही कहती है. गुरुकुल के गुरु अपनी विरासत बेटे-बेटी को न देकर योग्यतम अधिकारी को देते थे, भले वह कोई शिष्य ही क्यों न हो!”
”जी, यह विशाल कंपनी समूह फिलहाल मेरे नेतृत्व में चलेगा, आगे चल कर मेरा परिवार इसमें शेयरधारक बना रहेगा, पर कंपनी का संचालन एक संस्था के हाथ में होगा और अग्रवाल उसे दिशा और सलाह देने को उपलब्ध रहेंगे.”
”आपका विचार एकदम सही और बहुत बढ़िया लगा.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं पद्म पुरस्कार विजेता धरम पाल गुलाटी.”
”अच्छा-अच्छा महाशियां दि हट्टी (MDH) ग्रुप के मालिक? MDH मसाले सच-सच वाले?”
”जी ठीक पहचाना.”
”हमने सुना है आप 95 वर्षीय हैं और संभवतः दुनिया के सबसे उम्रदराज ऐड स्टार हैं और यही आपकी प्रसिद्धि का एकमात्र कारण नहीं है, आपकी महाशियां दि हट्टी 2 हजार करोड़ रुपये बाजार मूल्य की है. आपकी कामयाबी का राज़?”
”जी बस आप लोगों की दुआ. आप लोग MDH मसाले खाते हैं और उसकी महक दुनिया भर में जाती है.”
”कोई नशा?”
”जी कोई-न-कोई नशा तो सबको होता ही है, मुझे भी है- प्यार का नशा. बच्चे और बड़े जब मुझसे मिलने आते हैं और मेरे साथ सेल्फी और तस्वीरें खिंचवाते हैं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.”
”वैसे तो हमने आपकी पढ़ाई में सुना है, कि आप कक्षा पांचवीं तक पढ़े हैं, लेकिन आपकी योग्यता के सामने शिक्षा के कोई मायने नहीं रह जाते जब हम सुनते हैं, कि आप यूरोमॉनिटर के मुताबिक वह एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ हैं. अपनी कामयाबी के बारे में कुछ बताएंगे?”
”जब मैं 1947 में देश विभाजन के बाद भारत आया, तब मेरे पास महज 1,500 रुपये थे. भारत आकर मैंने परिवार के भरण-पोषण के लिए तांगा चलाना शुरू किया. फिर जल्द ही मेरे परिवार के पास इतनी संपत्ति जमा हो गई कि दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोली जा सके. इस दुकान से मसाले का कारोबार धीरे-धीरे इतना फैलता गया कि आज भारत और दुबई में मसाले की 18 फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों में तैयार एमडीएच मसाले दुनियाभर में पहुंचते हैं. एमडीएच के 62 प्रॉडक्ट्स हैं.”
”वाह-वाह के साथ हम आपको व्यापर-उद्योग जगत में श्रेष्ठ योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजे जाने के लिए कोटिशः बधाइयां देते हैं और आपको स्वस्थ रहने की शुभकामनाएं देते हैं. जीवेन शरदः शतम.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”हम हैं मारवाह परिवार के सदस्य.”
”आपकी विशेषता?”
”हमारे परिवार के पास मेट्रो की हर लाइन का ‘फर्स्ट कार्ड’ है.”
”ये कैसे हुआ?”
”बस समझिए कि हमारे परिवार का नशा है. मैं अक्षित हूं और यह हैं मेरी पत्नी अंकिता. मेरे पिताजी अनिल मारवाह ने यह परंपरा शुरु की थी. यह 30वीं बार है, जब हमने एनएमआरसी की ऐक्वा लाइन की पहली राइड के लिए उन्होंने कार्ड खरीदे, वह भी कड़कड़ाती ठंड में 26 जनवरी की सुबह नोएडा के सेक्टर 51 पहुंचकर और टिकट काउंटर पर लंबी लाइन में लगकर.”
”बना रहे आपका यह खूबसूरत नशा.”
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
यूपी: एक ऐसा गांव जहां सिर्फ भिखारी रहते हैं, चलाते हैं ‘सांपों वाली पाठशाला’
”कौन है?”
”हम हैं
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां सिर्फ भिखारी रहते हैं। इस गांव में बने घरों में दरवाजे नहीं हैं क्योंकि यहां के लोगों को न तो चोरी होने का डर है न किसी खजाने में सेंध लगने का। सरकारी इंतजामों से दूर इस गांव के लिए कोई रास्ता भी नहीं जाता।