ग़ज़ल
कर लिया फैसला ये दिल तेरे नाम लिखेंगे,
गज़ल तेरे हुस्न पर सुबह ओ शाम लिखेंगे।
कैसे धड़क उठा दिल तुमसे नजरें मिलते ही,
नजरों ने किया जो वो पहला सलाम लिखेंगे।
चाँदनी रातों में हाथों में हाथ डालकर टहलना,
दास्तान ए मोहब्बत में राज वो तमाम लिखेंगे।
इत्र में भिगोकर जो भेजे थे खत एक दूजे को,
दिल की कलम से नजरों के वो कलाम लिखेंगे।
मोहब्बत क्या होती है बता देंगे इस ज़माने को,
मोहब्बत से बढ़कर नहीं नशीला जाम लिखेंगे।
चंद पलों के साथ की यादें बहुत हैं जीने के लिए,
मोहब्बत है त्याग “सुलक्षणा” यही पैगाम लिखेंगे।
— डॉ सुलक्षणा