ग़ज़ल-नात हुयी है
अब जब उससे बात हुई है.
तब दिन की शुरुआत हुई है.
मैंने दिल जीता, वो दौलत,
सोचो किसकी मात हुई है.
कुछ घर भीगे कुछ सूखे हैं,
ये कैसी बरसात हुयी है.
आसानी से निपटा लेते,
बात बड़ी, बेबात हुयी है.
तब बातें दो कौड़ी की थीं,
अब उसकी औकात हुयी है.
उसने जाँ दी थी सीमा पर,
अब बेटी तैनात हुयी है.
घर में लाश रखी है माँ की,
कितनी भारी रात हुयी है.
कुछ पूजा के भाव जगे थे,
हम्द हुयी है, नात हुयी है.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9415474674